इन संस्थानों से डिग्री लेनेवाले पारा शिक्षक के लिए बुरी खबर, जा सकती है नौकरी
रांची: कई ऐसे पारा शिक्षक हैं जो विभिन्न गैर मान्यता प्राप्त संस्थानों से डिग्री हासिल कर बहाल हुए थे। उनपर अब करवाई हो सकती है। झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद के निदेशक आदित्य रंजन के द्वारा इसे लेकर सभी जिला शिक्षा अधीक्षकों को उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में पारा शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच कर नियमानुसार कार्रवाई करने के निर्देश दी है। बतादें कि पाकुड़ के जिला शिक्षा अधीक्षक को आदेशों के आलोक में पारा शिक्षकों के प्रमाणपत्रों की जांच करने और आवश्यक कार्रवाई करने को कहा है। साथ ही उन्होंने इसकी प्रति अन्य जिलों के जिला शिक्षा अधीक्षकों को भी भेजते हुए आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश जारी किया है।
निदेशक ने क्या दिया है निर्देश
निदेशक ने हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग और हिंदी विद्यापीठ, देवघर की उपाधियों की मान्यता को लेकर पूर्व में जारी आदेशों का हवाला देते हुए आवश्यक दिशा निर्देश जारी की है।
हिंदी विद्यापीठ, देवघर के प्रमाणपत्रों के संबंध में जानकारी दी है कि झारखंड सरकार के कार्मिक विभाग ने 15 जून 2023 को आदेश जारी कर कहा है कि 26 फरवरी 2015 के पूर्व इस संस्थान द्वारा निर्गत सभी उपाधि मान्य नहीं होगा।
वहीं परियोजना निदेशक ने बताया है कि झारखंड उच्च न्यायालय ने एक एलपीए में 30 अगस्त 2023 को पारित आदेश में हिंदी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग के मध्यमा प्रमाणपत्र को इंटरमीडिएट के समतुल्य नहीं मानते हुए वादियों के दावे को खारिज कर दी है।
साथ ही वर्ष 2004 में राज्य सरकार के मानव संसाधन विकास विभाग द्वारा जानकारी मांगे जाने पर राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद, लखनऊ ने भी कहा कि इस संस्थान द्वारा प्रदत्त उपाधि शिक्षक विशारद एवं शिक्षा अलंकार को प्राथमिक शिक्षक हेतु अर्हता बीटीसी के समतुल्य नहीं मानी है। बतादें कि पाकुड़ के जिला शिक्षा अधीक्षक ने इन दोनों संस्थानों के प्रमाणपत्रों की मान्यता को लेकर उनसे आवश्यक दिशा-निर्देश मांगा था। अब मार्गदर्शन मिलने के बाद इन डिग्री पर बहाल हुए राज्य भर के पारा शिक्षकों की नौकरी जा सकती है।