झारखंड कैबिनेट का बड़ा फैसला, चौपारण में डिग्री कॉलेज निर्माण के लिए 37 करोड़ 85 लाख की मंजूरी
झारखंड कैबिनेट में आज चौपारण को बड़ी सौगात मिली है। बतादें कि चौपारण में डिग्री कॉलेज नहीं होने के कारण यहां के बच्चों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए बरही,हजारीबाग या राँची की ओर रुख करना पड़ता है। जिस वजह से आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को बीच में ही पढ़ाई छोड़ने को मजबूर होना पड़ता था। इसे लेकर वर्षो से चौपारण में डिग्री कॉलेज की मांग लगातार उठ रही थी। विधायक उमाशंकर अकेला, पूर्व विधायक मनोज कुमार यादव,मुनम के सचिव मतिनुल हसन,पूर्व प्रखण्ड अध्यक्ष विकास यादव,पत्रकार अजय ठाकुर,शशि शेखर, पत्रकार हरेंद्र राणा, उमेश पासवान,शंकर यादव,किशोर राणा,दिवंगत पत्रकार डी मुन्ना सहित कई लोगों के द्वारा खुले मंच और पत्रकारिता के माध्यम से डिग्री कॉलेज के जरूरत को आवाज उठा चुके हैं जिनका प्रयास है कि अब बहुत जल्द ही चौपारण में डिग्री कॉलेज खुल पाएगा। और अगले सत्र से पढ़ाई भी शुरू हो सकती है।
कैबिनेट से डिग्री कॉलेज निर्माण के लिए मिली मंजूरी
आज की झारखंड कैबिनेट की बैठक में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की अध्यक्षता में हुई बैठक में डिग्री कॉलेज के निर्माण के लिए मंजूरी मिल गई। उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग से विनोबा भावे विश्वविद्यालय , हज़ारीबाग़ अंतर्गत प्रखण्ड के चौपारण में डिग्री महाविद्यालय के निर्माण हेत्तू 37 करोड़ 85 लाख 30 हजार मात्र की प्रशासनिक स्वीकृति दी गई है।
विधायक अकेला के द्वारा शून्य काल मे उठाया गया था प्रश्न
ज्ञात हो कि डिग्री महाविद्यालय चौपारण में निर्माण को लेकर सात नवंबर 23 को उच्च शिक्षा निदेशक, झारखंड गरिमा सिंह हजारीबाग डीसी नैंसी सहाय को पत्र लिख कर चौपारण में डिग्री कॉलेज के लिए भूमि चिह्नित करने का निर्देश दिया था। जिसके बाद प्रखण्ड के पाण्डेयबारा पंचायत में भूमि को चिन्हित करने की सूचना है। बतादें चौपारण में डिग्री कॉलेज की स्थापना विधायक उमाशंकर अकेला सहित अन्य के प्रयास से हो रहा है। इस संबंध में स्थानीय विधायक सह निवेदन समिति सभापति उमाशंकर अकेला ने बताया कि आजादी के 74 वर्षों के बाद क्षेत्र के लोगों को एक डिग्री कॉलेज मिलने जा रहा है। यह मांग भी वर्षो से थी, जिसे विधायक श्री अकेला ने विस के शून्यकाल में उठाया था और लगातार प्रयास भी कर रहा था।
विधायक ने कहा कि जिले का सबसे बड़ा प्रखंड चौपारण में 26 पंचायत, 269 गांव में पौने दो लाख की आबादी है। लेकिन डिग्री कॉलेज और महिला कॉलेज नहीं रहने के कारण बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए शहरों की ओर रुख करना पड़ता था। गरीब, असहाय परिवार के बच्चे उच्च शिक्षा से वंचित हो जा रहे थे। खास कर लड़कियों को उच्च शिक्षा नहीं कर पा रही थी।
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