स्कूल में छुट्टी होने से पहले तीन बार छात्रों की हाजिरी, शिक्षा विभाग में हड़कंप

स्कूल में छुट्टी होने से पहले तीन बार छात्रों की हाजिरी, शिक्षा विभाग में हड़कंप

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स्कूल में छुट्टी होने से पहले तीन बार छात्रों की हाजिरी, शिक्षा विभाग में हड़कंप

स्कूल में छुट्टी होने से पहले तीन बार छात्रों की हाजिरी, शिक्षा विभाग में हड़कंप

झारखंड के जामताड़ा से बड़ी खबर आ रही है। अब यहां के स्कूली बच्चों पर भी निगरानी रखा जा रहा है। जामताड़ा जिले के करमाटांड़ के एक सरकारी प्लस टू स्कूल में पढ़ाई करनेवाले लगभग 325 छात्रों के साइबर अपराध में संलिप्त होने की आशंका से शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा हुआ है।

क्या है मामला

ज्ञात हो कि कुछ दिन पहले केरल की पुलिस ने शिक्षा विभाग से संपर्क कर जानकारी दी थी कि साइबर ठगी में गिरफ्तार छात्र ने ठगी की घटना के समय स्कूल में बनी हाजिरी के आधार पर जमानत लेने की कोशिश की है। जिसके बाद विभाग के कान खड़े हो गए और एहतियातन शिक्षा विभाग की ओर से करमाटांड़ के इस स्कूल में सख्ती को बढ़ा दी गई है।

वहीं विषयवार शिक्षकों की प्रतिनियुक्ति की गई है। साथ ही जिला शिक्षा पदाधिकारी स्वयं भी लगातार स्कूल की मॉनिटरिंग कर रहे हैं।

अब छात्रों को अपराध के दलदल से बचाने के लिए जागरुकता फैलाई जा रही है। छात्रों की स्कूल अवधि में उपस्थिति व ठहराव को जांचने के लिए इस स्कूल में तीन बार हाजिरी भी ली जा रही है। जिसमें स्कूल में प्रार्थना के बाद छात्र क्लास में दाखिल होते हैं तब क्लास टीचर कक्षा में उपस्थित छात्रों की हाजिरी बनाते हैं।

मध्यांतर में टिफिन के बाद वर्ग कक्ष में दोबारा हाजिरी ली जा रही है। स्कूल में छुट्टी होने से पूर्व तीसरी बार छात्रों की हाजिरी ली जा रही है, ताकि छात्र भागकर साइबर अपराध नहीं कर सकें। शक के दायरे में जो विद्यार्थी हैं उनमें ज्यादातर 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षा के हैं।

छात्रों की गतिविधि, शौक पर की जा रही निगरानी

डीएसई डॉ गोपाल कृष्ण झा ने कहा कि चिह्नित स्कूल में लगभग 1795 छात्रों का एडमिसन है । जिसमें 325 छात्रों की संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखा जा रहा बहै। इन छात्रों के बोलचाल के तरीके, उनकी गतिविधियां, शौक व स्कूल में गैरहाजिरी सहित अन्य स्थिति- परिस्थितियों पर नजर रखा जा रहा है। ऐसे बच्चों की शिकायत अभिभावक से करने पर वे शिक्षक को ही झिड़क देते हैं एवं देख लेने की धमकी तक देते हैं। इस कारण शिक्षक भी विवश होकर छात्रों की शिकायत उनके अभिभावक से करने से भी परहेज कर रहे हैं।

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