नियुक्ति व वित्तीय गड़बड़ी की जांच करने पहुंची केंद्रीय टीम का यहां हुआ विरोध,जाने क्या है मामला

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नियुक्ति व वित्तीय गड़बड़ी की जांच करने पहुंची केंद्रीय टीम का यहां हुआ विरोध,जाने क्या है मामला

नियुक्ति व वित्तीय गड़बड़ी की जांच करने पहुंची केंद्रीय टीम का यहां हुआ विरोध,जाने क्या है मामला

केंद्रीय मन: चिकित्सा संस्थान में वर्ष 2013 से लेकर अबतक 174 नियुक्तियां हुई है। नियुक्तियां व वित्तीय गड़बड़ी की शिकायत पर केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग की चार सदस्यीय टीम डिप्टी डायरेक्टर एमके वर्मा के नेतृत्व जांच के लिए राँची पहुंची। टीम के सदस्यों ने शनिवार को भी उन लोगो से पूछताछ की जिनकी पूर्व में नियुक्ति हुआ है।

शनिवार को कई संगठनों ने केंद्रीय टीम द्वारा कर्मियों से पूछताछ के तरीकों एवं निदेशक के पद से डॉ बी दास को हटाए जाने को लेकर विरोध किया। इससे पहले नियुक्ति एवं वित्तीय गड़बड़ी की जांच कर रही टीम की अनुशंसा पर अब तक दो व्यक्तियों पर कार्रवाई हुई है। निदेशक के पद से डॉ बी दास को हटा कर डॉ. तरूण कुमार को प्रभारी निदेशक बनाया गया है। जिसका राष्ट्रीय स्तर पर विरोध शुरू हो गया है। इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी (आईपीएस) और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने इस निर्णय पर अपनी जोरदार आपत्ति जताते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव, डॉयरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज दिल्ली को भी पत्र लिखा है।

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी जताया आपत्ति

इधर निदेशक पद से डॉ बी दास को हटाए जाने पर इंडियन साइकियाट्रिक सोसाइटी (आईपीएस) और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने जोरदार आपत्ति जताया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव, डॉयरेक्टर जनरल हेल्थ सर्विसेज दिल्ली को पत्र लिखा है। आईपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉक्टर विनय कुमार एवं महासचिव डॉक्टर अरविंद ब्रह्मा ने इसको बिना जांच के उठाया गया कठोर एवं जल्दबाजी वाला कदम बताया है। कहा है कि यह सीआईपी जैसे देश के सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण एवं शोध वाले संस्थान और मनोचिकित्सा क्षेत्र के हित में नहीं है। उन्होंने गैर विशेषज्ञता वाले मेडिकल ऑफिसर को निदेशक का प्रभार देने पर कड़ी आपत्ति दर्ज की है।

जांच के नाम पर कर्मियों को किया जा रहा है प्रताड़ित : सीजीएचडब्ल्यू यूनियन

सीजीएचडब्ल्यू यूनियन सीआईपी कांके के पूर्व महासचिव अब्दुल कलाम ने जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि कथित जांच के नाम पर जांच टीम, कर्मियों को व्यक्तिगत रूप से बुलाकर अपमानित और प्रताड़ित कर रही है। कर्मियों की नियुक्ति के दो से 10 वर्ष बीत जाने के बाद भी अनावश्यक प्रश्न जांच टीम के सदस्यों द्वारा की जा रही है। जबरन उनको कहा जा रहा है कि उनकी नियुक्ति सेटिंग से हुआ है। जबकि कर्मचारियों को उनके विरुद्ध क्या आरोप है इसकी जानकारी तक उन्हें नहीं दिया गया है। ऐसे में उन्हें व्यक्तिगत रूप से बुलाकर उन्हें अपमानजनक बातें कहना एवं उनके लिखित में जवाब मांगा जाना पूरी तरह से गलत बात है।

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