हरतालिका तीज का व्रत आज , शुभमुहूर्त सहित पूजा से जुड़ी अन्य तथ्य जाने
आज (18 सितंबर) हरतालिका तीज है , इस व्रत को महिलाएं पति की लंबी उम्र, सौभाग्य और अच्छी सेहत की कामना के लिए करती हैं। अविवाहित कन्याएं सुयोग्य वर पाने की कामना के लिए भी ये व्रत करती हैं। ये व्रत निर्जल किया जाता है यानी व्रत करने वाली महिलाएं अन्न एवं जल का सेवन पूरे दिन नहीं करती हैं। कुछ महिलाएं सिर्फ अन्न का त्याग करती हैं तो कुछ महिलाएं दूध एवं फलों का सेवन के साथ ये व्रत करती हैं।
उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, देवी पार्वती की पूजा में लाल चूड़ियां, लाल चुनरी, कुमकुम, लाल फूल, इत्र, सिंदूर, हल्दी को जरूर चढ़ाएं। पूजा के बाद ये चीजें दक्षिणा के साथ किसी जरूरतमंद सुहागिन महिला को भी दान करें।
ये है शुभमुहूर्त
हरतालिका तीज इस दिन उदया तिथि में है, इसलिए लोग इस दिन तीज का व्रत रख रहे हैं पर इसी तिथि तीज 18 सितंबर 2023 को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी एवं इसके बाद चतुर्थी शुरू हो जाएगी। इसलिए शाम को चंद्र दर्शन के समय चौथ तिथि होगी। इस दिन व्रत रख रहें हैं तो आपके पूजा के लिए 3 शुभ मुहूर्त हैं।
पहला मुहूर्त -06 बजकर 07 मिनट से 08 बजकर 34 मिनट तक
दूसरा मुहूर्त सुबह 09 बजकर 11 मिनट से सुबह 10 बजकर 43 मिनट तक
तीसरा मुहूर्त दोपहर 03 बजकर 19 मिनट से शाम 07 बजकर 51 मिनट तक । हालांकि ये शुभमुहूर्त के अलावे भी कुछ और शुभ मुर्हूत का समय दिया जा रहा है। आप स्थानीय पंडितों के अनुसार भी पूजा कर सकते हैं।
इस मौके पर महिलाओं को सभी तरह का श्रृंगार कर निर्जला 24 घंटे का उपवास करती हैं।
हरतालिका तीज पर ध्यान रखें ये बातें
पं. शर्मा की माने तो देवी पार्वती की पूजा की शुरुआत गणेश पूजन से करनी चाहिए। गणेश जी प्रथम पूज्य हैं एवं इनके पूजा के साथ ही हर शुभ काम शुरू होता है। गणेश पूजा के बाद शिव जी के साथ माता पार्वती की भी पूजा करनी चाहिए।
देवी पूजा में मंत्र जप एवं ध्यान भी करें। तीज पर व्रत करने के बाद अगले दिन यानी चतुर्थी तिथि पर फिर से गणेश जी, शिव जी एवं पार्वती जी की पूजा करनी चाहिए। पूजा के बाद दान-पुण्य करें। इसके बाद ये व्रत पूरा होता है एवं महिलाएं अन्न-जल ग्रहण करती हैं।
माना जाता है कि सबसे पहले देवी पार्वती ने शिव जी को पति रूप में पाने के लिए हरतालिका का व्रत किया था।
शिव-पार्वती के पूजा में मंत्र ॐ नमः शिवाय मंत्र का जप करना चाहिए। इस मंत्र के साथ ही देवी मंत्र का भी जप करें।
देवी – मंत्र गौरी मे प्रियातां नित्यं अघनाशाय मंगला। सौभाग्ययास्तु ललिता भवानी सर्वसिद्धये।
इस मंत्र अर्थ ये है कि हे गौरी मां, मुझ पर प्रसन्न रहें, मंगला देवी मेरे पापों का नाश करें। देवी ललिता सौभाग्य प्रदान करें और भवानी मां सभी सिद्धियां प्रदान करें।
पूजा में मौसमी फल, दूध से मिठाई, पंचामृत, बिल्व पत्र, धतुरा, हार-फूल रखें। ध्यान रखें शिव परिवार की पूजा में तुलसी नहीं रखना चाहिए।