नियुक्ति और आरक्षण मामले में हाइकोर्ट का दो बड़े फैसले

नियुक्ति परीक्षा में उम्र सीमा में छूट के लिए दो और को हाईकोर्ट से फॉर्म भरने की मिली अनुमति

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नियुक्ति और आरक्षण मामले में हाइकोर्ट का दो बड़े फैसले

नियुक्ति और आरक्षण मामले में हाइकोर्ट का दो बड़े फैसले

हाईकोर्ट ने असिस्टेंट टाउन प्लानर्स की नियुक्ति के रिजल्ट पर लगाई रोक

रांची ( एजेंसी) झारखंड हाईकोर्ट के पहले बड़े फैसले की बात करें तो राज्य में असिस्टेंट टाउन प्लानर की नियुक्ति के लिए जेपीएससी की ओर से ली गई परीक्षा और इंटरव्यू का रिजल्ट दोबारा जारी करने का आदेश दिया है। दो माह में असिटेंट टाउन प्लानर का संशोधित रिजल्ट जारी कर नियुक्ति करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने इंटरव्यू में शामिल हुए कैंडिडेट में से 186 लोगों की उम्मीदवारी रद्द करने का आदेश दिया है।

झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (जेपीएससी) की ओर से 26 कैंडिडेट ऐसे थे, जिनका नाम मेरिट लिस्ट में शामिल था। कोर्ट के आदेश के बाद इनकी नियुक्ति की अनुशंसा भी रद्द कर दी जाएगी।

पहले हाईकोर्ट की एकल पीठ ने असिस्टेंट टाउन प्लानर की नियुक्ति की मेरिट लिस्ट को सही ठहराया था, लेकिन इस आदेश के खिलाफ विवेक हर्षल, स्वप्रिल मयुरेश और अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद डबल बेंच ने एकल पीठ के फैसले को पलट दिया।

अप्रैल 2020 में जेपीएससी ने पूरे राज्य में सहायक टाउन प्लानर के 77 पदों के लिए विज्ञापन निकाला था। मार्च 2021 में सारी प्रक्रिया पूरी करते हुए जेपीएससी ने परिणाम जारी कर दिया और सफल हुए 43 अभ्यर्थियों की नियुक्ति की अनुशंसा सरकार को भेज दी थी। इनमें से 26 ऐसे अभ्यर्थी थे, जिनके पास फॉर्म भरने की अंतिम तिथि तक इंस्टीट्यूट आफ टाउन प्लानर (इंडिया) का सर्टिफिकेट नहीं था। जेपीएससी ने 318 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में बुलाया था, जिनमें से 186 अभ्यर्थियों के पास फॉर्म भरने की अंतिम तिथि 10 अगस्त 2020 तक इंस्टीट्यूट आफ टाउन प्लानर (इंडिया) का सर्टिफिकेट तक नहीं था ।

नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए याचिका दायर

इस नियुक्ति प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कुछ अभ्यर्थियों ने हाईकोर्ट में रिट दायर की थी। जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने शनिवार का पारित आदेश में कहा है कि फॉर्म भरने की अंतिम तिथि तक इंस्टीट्यूट आफ टाउन प्लानर का सर्टिफिकेट नहीं होने के बावजूद जेपीएससी ने जिन 186 अभ्यर्थियों को साक्षात्कार में बुलाया था, उनकी उम्मीदवारी रद्द की जाए। इसके बाद शेष बचे वैसे अभ्यर्थी जिन्हें साक्षात्कार में बुलाया गया था और जिनके पास फॉर्म भरने की अंतिम तिथि तक इंस्टीट्यूट आफ टाउन प्लानर का सर्टिफिकेट था।

आरक्षण के मामले में फैसला सुरक्षित

झारखंड हाईकोर्ट के दूसरी बड़ी फैसले की बात करें तो जस्टिस एसएन प्रसाद व जस्टिस नवनीत कुमार की खंडपीठ में छठी जेपीएससी में आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थियों को कैडर आवंटन में आरक्षण नहीं देने को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई। सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस संबंध में चंदन कुमार सहित अन्य की ओर से अपील याचिका दाखिल की गई है।

सुनवाई के दौरान जेपीएससी ने अदालत को बताया गया कि मेरिट के आधार पर प्रार्थियों को सामान्य श्रेणी में रखा गया और उसके अनुरूप ही कैडर आवंटित किया गया है। ऐसे अभ्यर्थी को आरक्षित श्रेणी में कैडर आवंटन का राज्य में कोई नियम नहीं है। अगर ऐसा किया जाता है तो आरक्षण श्रेणी के 40 सफल अभ्यर्थियों की नौकरी पर संकट हो जाएगा।

प्रार्थी की ओर से सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए कहा गया कि प्रार्थी आरक्षित श्रेणी के हैं, लेकिन मेरिट के आधार पर सामान्य श्रेणी में चयन हुआ। लेकिन उन्हें कैडर आवंटन में आरक्षण का लाभ मिलना चाहिए। यह मामला हाई कोर्ट के एकल पीठ में गया था। एकल पीठ ने जून 2021 में जेपीएससी के फैसले को सही ठहराया था। इसके बाद खंडपीठ में अपील दाखिल की गई है।

नियुक्ति और आरक्षण

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