झारखंड में नौकरियों की भरमार पर नहीं मिल रहे अभ्यर्थी,हज़ारों में हैं रिक्तियां
झारखंड में बैकलॉग नौकरियों की भरमार है पर अभियर्थियों के नहीं मिलने से सीटे रिक्त रह गई है। जेपीएससी और जेएसएससी के माध्यम से राज्य सरकार के द्वारा सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों को भरने के लिए नियुक्ति परीक्षा ली जाती हैं। पर एक तरफ सामान्य कोटि में कट ऑफ हाई होने के बाबजूद सफल होने वाले अभ्यर्थियों की काफी संख्या होती है वहीं दूसरी तरफ एससी-एसटी कोटे के लिए आरक्षित पदों पर योग्य अभ्यर्थी नहीं मिल पाते हैं। ऐसे में खाली पड़ी यह रिक्तियां बैकलॉग रिक्ति के रुप में मानकर सरकार द्वारा बार-बार विज्ञापन निकालती है।
उसके बाबजूद भी इस कोटि में अभ्यर्थियों द्वारा निर्धारित अहर्ता नहीं प्राप्त किए जाने की वजह से सीटें खाली रह जाती हैं। जानकारी के अनुसार राज्य सरकार में ऐसे बैकलॉग रिक्तियों की संख्या 20 हजार के करीब हैं, जिसमें सबसे अधिक एसटी कोटि के हैं।
टीआरआई निदेशक रणेंद्र कुमार कहते हैं कि इसके पीछे सामाजिक-आर्थिक कारण तो हैं ही शिक्षक भी जिम्मेदार हैं कि उन्हें मानसिक रुप से प्रतियोगिता परीक्षा के लिए तैयार नहीं करते हैं। मैट्रिक, इंटर और बीए करना अलग बात है मगर प्रतियोगिता परीक्षा में सफल होना भी बहुत बड़ी बात है, जो इस समुदाय के अभ्यर्थी नहीं कर सक रहे हैं।
जेपीएससी जेएसएससी की परीक्षाओं में योग्य अभ्यर्थी नहीं मिलने से सीट रिक्त
जेपीएससी जेएसएससी के द्वारा आयोजित की जा रही विभिन्न पदों के लिए नियुक्ति परीक्षा में अहर्ता प्राप्त नहीं प्राप्त करने होने के कारण हजारों पद आयोग के द्वारा सरेंडर कर दी गई। जिसमें झारखंड कर्मचारी चयन आयोग के द्वारा 2016 में आयोजित की गई विभिन्न विषयों के हाई स्कूल शिक्षक नियुक्ति परीक्षा में करीब 4000 पद सरेंडर हो सकते हैं ।जिसमें अधिकांश एससी- एसटी कोटा से है। जानकारी के अनुसार करीब 2200 पद ऐसे हैं जो अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित हैं। वहीं शारीरिक शिक्षा विषय अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित 290 पद सहित कुल 518 पद यूं ही खाली रह गए। इनके नहीं भरे जाने के पीछे का एकमात्र कारण योग्य उम्मीदवारों का नहीं मिलना है।
सरकार एसटी वर्ग के लिए फ्री करबा रही कोचिंग
साल दर साल बढ़ रहे बैकलॉग रिक्ति को देखते हुए सरकार ने बड़ी पहल की है। सरकार ने एसटी वर्ग के लिए फ्री कोचिंग की शुरुआत की है, जिसके अंतर्गत अनुसूचित जनजातियों के विभिन्न वर्गों के कुल 165 विद्यार्थी को आगामी प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कराई जा रही है। जिसमें असुर, बिरहोर जैसी जनजाति के विद्यार्थी को सरकार चार महीने का फ्री कोचिंग के साथ मुफ्त भोजन एवं आवास देकर परीक्षा की तैयारी करवा रही है। कई बार प्रतियोगिता परीक्षा में असफल होने के बाद तैयारी में जुटे विद्यार्थी बताते हैं कि झारखंड में रहनेवाले जनजाति ग्रामीण परिवेश से हैं ऐसे में इन्हें जो प्रतियोगिता परीक्षा की जानकारी नहीं मिल पाता है।
आर्थिक और सामाजिक कारणों की वजह के साथ प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कैसे करें यह उन्हें सही से जानकारी नहीं मिल पाता । यही वजह है कि मेरे जैसे विद्यार्थी अब तक असफल रहे हैं।
प्रावधान के मुताबिक तीन बार बैकलॉग पद पर योग्य अभ्यर्थी नहीं मिलने के बाद उसे सामान्य कोटि में मानकर रेगुलर नियुक्ति में समाहित कर दी गई है। इधर इसको लेकर विवाद भी उठते रहे हैं और मामला न्यायालय तक भी पहुंचता रहा है। ऐसे में सरकार ने इन वर्गों को स्वामी विवेकानंद की उस उक्ति को चरितार्थ करने की कोशिश की है जिसमें मछली देने के बजाय ऐसे लोगों को मछली पकड़ना को सिखाया जाए।