त्रिस्तरीय पंचायत राज की कार्यपद्धति पर अविलंब रोक लगे : आदिवासी बुद्धिजीवी मंच
रविवार को आदिवासी बुद्धिजीवी मंच की संसदीय कानून पंचायतों के उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों का विस्तार) अधिनियम 1996 पर कार्यशाला हुई।
डॉ कामिल बुल्के पथ स्थित एसडीसी सभागार के सामाजिक विकास केंद्र में आयोजित कार्यशाला में बताया गया कि झारखंड सरकार द्वारा 26 जुलाई 2023 को अधिसूचित जीएसआर-1784 झारखंड पंचायत उपबंध 2022 संसदीय अधिनियम 1996 के मुताबिक असंगत है, इसलिए इसको मंच खारिज करता है।
मंच ने इस के नियमावली के विभिन्न धाराओं के अंतर्गत भूतलक्षी प्रभाव से बनाने की मांग की। साथ ही नियमावली बनाने की प्रक्रिया पूरी होने तक अनुसूचित क्षेत्रों में त्रिस्तरीय पंचायत राज प्रतिनिधियों की कार्य पद्धति पर अविलंब रोक लगाने की मांग की है।
मंच ने संबंधित शक्तियों को अविलंब अनुसूचित क्षेत्रों के मान्यता प्राप्त परंपरागत ग्रामसभा को सुपुर्द करने की बात कही, ताकि जनजातीय उप-योजना (टीएसपी), डीएमएफटी व योजना आयोग के द्वारा अनुसूचित क्षेत्रों के लिए आवंटित बजट की राशि लाभुकों तक पहुंच सके। कार्यशाला में वक्ता के रूप में मंच के विक्टर मालतो, झामुमो विधायक लोबिन हेब्रम, मांडर विधायक शिल्पी नेहा तिर्की शामिल हुए।
मौके पर सोमे उरांव, विनोद भगत,संजय होरो, प्रभाकर कुजूर, नोवेल डहंगा, मथियस कुल्लू, अयूब जोजो, मेडलिन तिर्की एवं अनुग्रह मिंज समेत बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
नियमावली में प्रावधानों का नहीं किया गया पालन
वक्ताओं ने बोला कि अधिनियम 1996 के द्वारा कुल 23 प्रावधानों को अपवादों एवं उपांतरणों के अधीन 24 दिसंबर 1996 में विस्तारित किया गया है। नियमावली बनाने में कई नियमों का पालन करना जरूरी है, बावजूद झारखंड सरकार ने नियमावली के प्रारूप को उसमें से विलोपित कर दी है।
झारखंड पंचायत राज्य अधिनियम 2001 के प्रावधानों को असंवैधानिक ढंग से अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तारित कर दिया हैं पर भारत के राष्ट्रपति के द्वारा 11 अप्रैल 2007 को झारखंड के 12 जिले, तीन प्रखंड एवं दो पंचायतों को अनुसूचित क्षेत्र घोषित किया गया है।