टेट पास पारा शिक्षकों का क्या झारखंड सरकार करेगी बेड़ा पार ? सदन में उठी मांग
झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दूसरे दिन टेट पास पारा शिक्षकों के नियमितीकरण को लेकर भी सदन में आवाज गूंजी। इनके पक्ष में मनिका विधानसभा क्षेत्र के विधायक सह झारखंड विधानसभा के सभापति रामचंद्र सिंह ने सदन आवाज उठाया।
उन्होंने शून्यकाल के दौरान अपनी बातों को रखते हुए कहा कि पूरे झारखण्ड प्रदेश में विगत 20 वर्षों से लगभग 14042 टेट पास सहायक अध्यापक- (पारा शिक्षक) द्वारा सरकारी विद्यालयों में अल्प मानदेय में पठन-पाठन का कार्य किया जा रहा है जो NCTE एवं NEP की अहर्त्ता भी रखते हैं। द्वारा सहायक आचार्य नियुक्ति विज्ञापन के पूर्व सरकार के महाधिवक्ता एवं विभागीय उच्च स्तरीय कमिटि की अनुशंसा के आलोक एवं अन्य राज्यों के समरूप वेतनमान निर्धारण एवं समायोजन हेतु लगातार मांग की जा रही है।
अतः उक्त संदर्भ में इनके सेवा की आयु एवं अहर्ता के मद्देनजर इनकी मांगो पर नियमानुकुल विचार करने की मांग सरकार से करता हूँ।
प्राइवेट स्कूलों की मान्यता को लेकर सदन में इस विधायक ने उठाई आवाज
मानसून सत्र के दूसरे दिन प्रश्नकाल के बाद सदन की कार्यवाही थोड़ी देर के लिए स्थगित कर दी गई। दोबारा कार्यवाही शुरू होने के बाद शून्यकाल और ध्यानाकर्षण चला । इस दौरान विधायक सरयू राय ने शिक्षा विभाग से जुड़ा ध्यानाकर्षण सवाल किया । उन्होंने कहा कि राज्य में 40,000 प्राइवेट स्कूल चल रहे हैं, लेकिन ( RTI ) आरटीई की नई शर्तों के कारण इन स्कूलों का संचालन कर पाना मुश्किल हो रहा है । जिसके जवाब में प्रभारी मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने कहा कि आरटीई की यह नियमावली 2010 में बना है। ऐसे में 99 फीसदी स्कूल ऐसे हैं, जिनपर यह नियम लागू नहीं होता है। फिर भी कुछ कठिन शर्तों पर संशोधन के लिए सरकार विचार कर रही है।
पूरे प्रश्नकाल में एक ही प्रश्न लिया जा सका
विरोध के बीच ही प्रश्नकाल चला। पूरे प्रश्नकाल के दौरान महज एक प्रश्न लिया जा सका, जहां पर विनोद सिंह ने सरकार से सवाल किया कि रेप और पॉक्सो में सजा की दर 25 फीसदी से कम है। उन्होंने यह भी प्रश्न किया कि राज्य में 90 फीसदी थानों में एक भी महिला दारोगा नहीं है। ऐसे में क्या महिला दारोगा पद के लिए भी आरक्षण का प्रावधान होगा?
इस सवाल के जवाब में संसदीय कार्य मंत्री रामेश्वर उरांव ने बताया कि महिला दारोगा पद के लिए किसी तरह का आरक्षण का प्रावधान नहीं है। फिर भी थानों में महिला दारोगा के रिक्त पदों को भरने की कवायद की जरूर जाएगी।