सहायक आचार्य की बहाली के पहले पारा शिक्षकों में मची खलबली,संशोधित नियमावली से चकरा गए हैं सभी
सहायक आचार्य की बहाली के पहले पारा शिक्षकों में मची खलबली मची हुई है। सहायक आचार्य नियुक्ति नियमावली की संशोधित अधिसूचना जारी होने के बाद से अधिकांश पारा शिक्षकों का सिर चकरा गया है। इन्हें ऐसा लगने लगा है कि सरकार नहीं चाहती है कि ये सरकारी शिक्षक बन पाए इसलिए नियमावली में 8 से 9 घण्टे का परीक्षा लाई गई। परीक्षा में स्नातक स्तरीय प्रश्न पूछे जाएंगे।
मिशन टीम के संयोजक रंजित जयसवाल ने बताया कि झामुमो सरकार या हेमंत सरकार,ने पारा शिक्षको को ,सरकारी शिक्षक नहीं बन पाये इसलिए 8 घंटे और 9 घंटे का परीक्षा लाया है। आठ घंटे और 9 घंटे नेट परीक्षा मे होती है और.प्रोफेसर बनाने के लिए परीक्षा होती है। मिशन टीम वाले अपने. सिनियर वकील से मुलाकात झारखंड हाईकोर्ट मे मिल कर आए हैं। विज्ञापन के बाद ही इसे स्टे लगाया जा सकता है। एक बार झारखंड हाईकोर्ट मे प्रयास करेंगे ये नियुक्ति रूक जाये।सुप्रीम कोर्ट से वकील से भी बात कर रोकने की कोशिश की जायेगी।
सहायक आचार्य नियमावली का क्यों कर रहे विरोध
गौरतलब हो कि आठ घंटे परीक्षा के बाद इनकी नियुक्ति सहायक आर्चाय मे नियुक्ति होगी। और स्टेट मेरिट के बाद किन्हें किस जिला मे नियुक्ति होगी ये भी प्रश्न खड़ा होता है। क्योंकि अभी टेट पास पारा शिक्षकों को 21 से 22 हजार तक मानदेय मिलता है। और सहायक आचार्य की नियुक्ति के बाद मात्र 6 से 7 हज़ार की ही बढ़ोतरी होगी।
हम पारा शिक्षक परीक्षा क्यों दे,हमे तो 21000,22000 मिल रहा है घरके बगल विधालय मे , फिर आठ घंटे परीक्षा देने के बाद कम वेतनमान पे पलामू के पारा शिक्षक गोड्डा मे नियुक्त क्यों जायेंगे, सिर्फ दस हजार के अंतराल में , ऐसे कई कारणों से विरोध किया जा रहा है।
मिशन टीम के रणजीत जयसवाल ने कहा कि सरकार पारा शिक्षकों को असिस्टेंट टीचर सरकारी शिक्षक में बहाल कर दें हम परीक्षा देने के लिए तैयार हैं और उसमें हमको ले जाए हम परीक्षा देंगे और हमको 42,46 ग्रेड पे दे दे ।
झारखंड के तमाम नेतृत्व से रंजीत जायसवाल मिशन टीम के संयोजक ने आवाहन करते हुए कहा कि सरकार को ईट से ईट बजाने की जरूरत है और एक पटल पर आकर सरकार को यह बता देना है कि रघुवर सरकार को हिला सकते हैं तो हेमंत सरकार का भी वही हश्र कर सकते हैं।