सहायक आचार्य नियुक्ति पर रोक सीधी बहाली ? सरकार के विधायक ने मुख्यमंत्री को भेजा पत्र

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सहायक आचार्य नियुक्ति पर रोक सीधी बहाली ? सरकार के विधायक ने मुख्यमंत्री को भेजा पत्र

सहायक आचार्य नियुक्ति पर रोक सीधी बहाली ? सरकार के विधायक ने मुख्यमंत्री को भेजा पत्र

झारखंड में सहायक आचार्य की नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ती हेतु सरकार ने सहायक आचार्य नियमावली बनाई है। जिस पर गठबंधन सरकार के विधायक ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर बड़ी मांग की है।

इस सम्बंध में झारखंड विधानसभा के सभापति सह डुमरी विधानसभा के विधायक बिनोद कुमार सिंह ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को पत्र लिख कर पारा शिक्षकों के सीधी नियुक्ति की पेशकश की है ।

पत्र में श्री सिंह ने कहा है कि 50% संविदा आधारित शिक्षकों हेतु आरक्षित किया गया है। सहायक आचार्य हेतु प्रथम वेतन 25 हजार निर्धारित किया गया है। नियमावली के अनुसार सहायक आचार्य के रूप में 10 वर्ष की सेवा पूर्ण करने पर रिक्तियों के आधार पर सहायक शिक्षक के रूप में प्रोन्नत किया जाएगा।

राज्य में पारा शिक्षकों की नियुक्ति 2002 से प्रारम्भ हुई है। राज्य में अधिकांश पारा शिक्षक 15 वर्ष से ज्यादा की सेवा दे चुके है। अतः वर्तमान सहायक आचार्य नियमावली टेट पास पारा शिक्षकों के लिए छलावा साबित होगी।

टेट पास और 15 वर्ष ज्यादा सेवा के बावजूद उनसे दुबारा परीक्षा ली जा रही है, यदि वे उसमें पास हो जाते है तब भी उन्हें विशेष लाभ नहीं होगा। सहत्यक आचार्य के रूप में 10 वर्ष की सेवा करते करते उनमें से अधिकांश अपनी उम्र के कारण सेवानिवृत हो जाएंगे।

अतः अनुरोध होगा कि टेट पास पारा शिक्षकों की सेवा अवधि को ध्यान में रखकर इन्हें सौधा सहायक शिक्षक का दर्जा देना चाहिए। अन्य राज्यों में भी टेट पास शिक्षकों का समायोजन किया गया है। इसमें कोई कानूनी अड़चन नहीं होगी। कयदि सरकार इसके बावजूद पुनः परीक्षा लेने पर आमादा ही है तो, इन्हें पास होने के बाद सहायक आचार्य के बजाय सहायक शिक्षक के रूप में नियुक्ती दी जानी चाहिए। पारा शिक्षक के रूप में इनकी सेवाकाल को अनुभव के रूप मैं मान लेना चाहिए।

उम्मीद है आप विचार करेंगे

 

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