गर्मी छुट्टी में मूल्यांकन कार्य का विरोध शुरू, शिक्षक संघ ने पुर्नविचार के लिए लिखा धमकी भरा पत्र

कल
ही राज्य शिक्षा निदेशक किरण कुमारी पासी ने वर्ग 1 से 7 वीं कक्षा की बार्षिक परीक्षा के मूल्यांकन कार्य को लेकर संसोधित पत्र जारी की थी । आदेश के दूसरे दिन ही विभिन्न शिक्षक संघटनो ने कड़े शब्दों में विरोध किया है । और आदेश पर पुनर्विचार कर ने का मांग की है
पत्र में कहा गया है कि प्रसंगाधीन पत्र में निदेशित है। कि सभी विद्यालय के प्रधानाध्यापक / प्रभारी प्रधानाध्यापक अपने विद्यालय में कार्यरत शिक्षकों को ग्रीष्मावकाश के पूर्व वार्षिक परीक्षा / योगात्मक मूल्यांकन / 2 SA-II (2022-23) से संबंधित प्रश्नपत्र -सह- उत्तरपुस्तिका उपलब्ध कराना तथा उन्हें अपने स्तर से इस आशय के साथ निदेशित करना सुनिश्चित करेंगे कि इसका मूल्यांकन तथा प्रगति पत्रक निर्माण कार्य ग्रीष्मावकाश के दौरान गृह कार्य के तहत किया जाए। इसके साथ ही यह भी निदेशित किया गया है कि 01 जून 2023 को विद्यालय खोला जाए।
उक्त निदेशों से उत्पन्न प्रतिकूल परिस्थितियों के मद्देनजर निम्न की ओर ध्यानाकृष्ट पत्र को तत्काल शिथिल करने का निवेदन समर्पित करने को लेकर अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ झारखंड प्रदेश के द्वारा लिखा गया है।
पुनर्विचार करने के लिए संघ ने दिए सात कारण
1. ग्रीष्मावकाश विभागीय नियमानुसार पूर्व से निर्धारित रहता है, साथ ही छात्रों की
परीक्षा एवं मूल्यांकन कार्य के लिए भी पूर्व से तिथि / कैलेंडर निर्धारित है, जिसके आलोक में ही समस्त गतिविधियाँ एवं दिनचर्याएँ संचालित रहती हैं।
2. राज्य के अधिकांश जिलों में कहीं 15 मई या कहीं 22 मई से ग्रीष्मावकाश होना निर्धारित है और ग्रीष्मावकाश प्रारंभ होने के निकट पूर्व प्रसंगाधीन निदेश असहज प्रतीत होता है क्योंकि इससे निम्न वर्णित प्रतिकूलताएँ परिलक्षित होंगी,
3. पूर्व से निर्धारित अवकाश / कैलेंडर के अनुसार ही शिक्षकों द्वारा ग्रीष्मावकाश का उपयोग अधिकांशतः अपने पारिवारिक जरूरतों यथा-अपना या आश्रितों के चिकित्सा कारणों से राज्य के बाहर (बेल्लोर, एम्स दिल्ली, चंडीगढ़, चेन्नई आदि) के चिकित्सीय संस्थानों से पूर्व से अपना एप्वांइटमेंट लिए रहना, पारिवारिक शादी व्याह की तिथियाँ निर्धारित रखना, अन्य पारिवारिक कारणों से यात्रा का कार्यक्रम निर्धारित कर टिकट लिए रहना आदि में करते हैं,
4. यह विशेषरूप से ध्यातव्य हो कि ग्रीष्मावकाश की अवधि के बदले शिक्षकों को अन्य राज्यकर्मियों की तुलना में कम वार्षिक अर्जितावकाश मान्य है, शिक्षकों को एक वर्ष में मात्र 14 अर्जितावकाश मान्य है जबकि अन्य के लिए यह 33 दिनों है इस अल्प अर्जितावकाश के कारण शिक्षकगण यथासंभव ग्रीष्मावकाश को ही अपने पारिवारिक / चिकित्सीय जरूरतों को पूरा करने के निमित उपयोग करते हैं,
5. उक्त के मद्देनजर अधिकांश शिक्षक ग्रीष्मावकाश में अपने गृह से दूर रहेंगे जिसकारण इस अवधि में गृह कार्य के रूप में मूल्यांकन कार्य को कर पाना संभव प्रतीत नहीं होता है।
6. ग्रीष्मावकाश के पूर्व से इस अवधि में यात्रा करने के लिए शिक्षक स्वयं / सपरिवार यात्रा टिकट लिए रहते हैं और तय तिथि को यात्रा नहीं करने से टिकट बुकिंग में भुगतान की गई अच्छी खासी रकम का हानि होना भी लाजिमी है, जो एक असहज परिस्थिति होगी,
7. पूर्व से तय यात्रा कार्यक्रमों की अवधि के बीच 01 जून 2023 को विद्यालय खोलना
एवं गतिविधियों को संचालित करना भी संभव होने से परे प्रतीत होता है,
8. शिक्षकगण भी पारिवारिक / सामाजिक दायित्वों के निर्वहन के लिए अपने पारिवारिक मुखिया की भूमिका में होते हैं, और मानवीय कारणों / आधार से इसे पूर्ण करना अन्य के समान ही शिक्षकों के लिए भी आवश्यक होता है, इसके मानवीय पहलू भी अधिक विचारणीय हैं।
अतः उक्त प्रतिकूल / असहज परिस्थितियों के मद्देनजर निवेदन करना चाहेंगे कि प्रसंगाधीन पत्रांक 653 दिनांक 09.05.2023 को तत्काल क्षांत करने की कृपा की जाए, मूल्यांकन कार्य को पूर्व से निर्धारित शिड्यूल के अनुसार सम्पन्न कराया जाना सर्वथा उचित होगा, पुर्नविचार नहीं हो पाने की स्थिति में वर्णित तथ्यालोक में ग्रीष्मावकाश में मूल्यांकन कार्य से शिक्षकों के पृथक / वहिष्कारित रहने की परिस्थितिजन्य वाध्यता होगी।
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