पेंशनर भवन में आयोजित हुआ मजदूर दिवस : कर्मियों को 8 नहीं 12 घण्टे करने पड़ेंगे काम, बन रहा नीति
मनरेगा
योजना से लेकर आशा आंगनबाड़ी, मिड-डे-मील जैसी तमाम सरकारी योजनाओं के लिए बजट आवंटन में भारी कटौती की गई है। वास्तविक मजदूरी की वृद्धि में भी गिरावट जारी है। बड़े पैमाने पर आज छटनी और वेतन में कटौती भयानक रूप से बढ़ती गरीबी और असमानता, अंधाधुंध ठेकाकरण जिससे सेना को भी बख्शा नहीं गया (अग्नीपथ योजना के माध्यम से )।
उपर्युक्त बातें पेंशनर भवन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस के अवसर पर एक्टू नेता महेश कुमार सिंह ने कहीं।
श्री सिंह ने कहा कि देश के मजदूर किसान समस्त आवाम मेहनतकश त्रस्त हैं ।इन सब के खिलाफ बुलंद आवाज को तेज करने के साथ ही सारे मेहनतकश की एकता को मजबूत करने की जरूरत है।
झापसा के प्रदेश अध्यक्ष शैलेन्द्र सुमन ने कहा कि आज नई शिक्षा नीति के नाम पर शिक्षक, कर्मचारियों और पदाधिकारियों के ऊपर दमन बढ़ता जा रहा है। 8 घंटे के काम को 12 घंटे किया जा रहा है। कोरोना काल के दौरान सुविधा के नाम पर अपनी पीठ थपथपा रही केंद्र सरकार शिक्षक कर्मचारियों का मेहनत का 18 महीना का डीए को लटकाए हुए है। यह न्यायसंगत नहीं है।
शिक्षक नेता मुमताज अहमद ने कहा कि देश में सेवाकर्मियों के वेतनमान को फेरबदल के साथ सर्विस टैक्स में अपार वृद्धि की जा रही है ।आज कर्मचारियों को मनोबल को गुलामी की ओर धकेला जा रहा है।
डीवाईएफआई के बच्चुनारायण सिंह ,सीटू नेता दिलीप कुमार वर्मा ने कहा कि केंद्र सरकार मजदूरों के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है।
किसान नेता जगदीश महतो ने कहा कि केंद्र की किसान विरोधी नीतियों के कारण किसान का हालत बद से बदतर होती जा रही है।
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