ओबीसी आरक्षण विधेयक वापस आने पर मुख्यमंत्री हेमन्त सरकार ले रही कानूनी सलाह
राँची : ओबीसी आरक्षण विधेयक को राजभवन के तरफ वापस आने के बाद राज्य की म हेमंत सरकार अब नई रणनीति तैयार पर मंथन कर रही है। हेमंत सरकार इस बिल के लिए अब कानूनी सलाह ले रही है।
गौरतलब हो कि राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन के द्वारा झारखंड विधानसभा से पारित हुई झारखंड आरक्षण (संशोधन) अधिनियम 2022 को वापस करते हुए विधेयक के दोबारा समीक्षा का सुझाव दिया गया था ।
इस विधेयक की समीक्षा करते हुए अटॉर्नी जनरल ने बताया था कि इसके कई प्रावधान सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसलों से नहीं मिलते हैं।
राज्य सरकार ने यह विधेयक तत्कालीन राज्यपाल रमेश बैस के समय में ही स्वीकृति के लिए राजभवन को कैबिनेट के मंजुरी के बाद भेजा था उन्होंने ही उस पर अटॉर्नी जनरल से सलाह मांगा था।
इस बीच उन्हें महाराष्ट्र का राज्यपाल नियुक्त होने के कारण नए राज्यपाल आए और अब अटॉर्नी जनरल की सलाह मिलने के बाद राज्यपाल ने उक्त विधेयक को वापस लौटा कर हेमंत सरकार को बड़ी झटका दी है।
14 से बढ़ाकर 27 फीसदी किया गया था ओबीसी आरक्षण
झारखंड में हेमंत सरकार ने आरक्षण को बढ़ाकर 77 फीसदी करने वाला विधेयक को पारित की थी। जिसके बाद से प्रदेश में अनुसूचित जनजाति(ST) को 26 से बढ़ाकर 28 फीसदी एवं पिछड़ा वर्ग(OBC) को 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी व अनुसूचित जाति (SC) के लिए 10 से बढ़ाकर 12 फीसदी आरक्षण कर दी थी।
दरअसल, झारखंड के मौजूदा सत्ताधारी गठबंधन में 3 पार्टियां झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस एवं राजद शामिल हैं
। इन तीनों दलों ने साल 2019 के विधानसभा चुनाव के समय ही अपने-अपने घोषणापत्रों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण का वादा की थी।
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