गर्भवती को निजी क्लीनिक में ले गयी स्वास्थ्य सहिया, मां-बच्चे दोनों की मौत, सहिया को मिलता है कमीशन ?

सहिया
के कहने पर सरकारी और निजी अस्पताल के फेर में पिसता रहा मुरूमातु का गरीब परिवार
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Hazaribagh / राजू यादव / टाटीझरिया । गर्भवती महिलाओं के सुरक्षित प्रसव और प्रसूता एवं नवजात शिशु की स्वास्थ्य रक्षा के लिए सरकार चाहे जितना भी प्रयास कर रही हो लेकिन स्वास्थ्य सहिया की मनमानी पूरी व्यवस्था पर भारी पड़ रही है। टाटीझरिया थाना क्षेत्र के मुरूमातु निवासी सिकंदर भोक्ता ने बताया कि वह अपनी गर्भवती पत्नी भदुली देवी (21 वर्ष) को गांव की स्वास्थ्य सहिया सावित्री देवी के कहने पर 7 अप्रैल को विष्णुगढ़ के हॉस्पिटल मोड स्थित निजी क्लिनिक गायत्री नर्सिंग होम में भर्ती कराया था। सहिया ने गर्भवती महिला को क्लिनिक तक पहुंचाने के लिए वाहन का भी इंतजाम कराया था। जिसके लिए 600 रुपये किराया दिया गया। प्रसव नहीं होने पर गायत्री नर्सिंग होम ने परिजनों से पैसा लेने के बाद उसे सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र विष्णुगढ़ भेज दिया। जहां से उसे सदर अस्पताल हजारीबाग रेफर कर दिया गया।
सदर अस्पताल में 8 अप्रैल को आइसीयू की व्यवस्था नहीं होने की बात कही गई। इसके बाद परिजनों ने उसे हजारीबाग आरोग्यम अस्पताल में भर्ती कराया। जहां प्रसव होने के बाद नवजात की मौत हो गई। मां का ईलाज 10 अप्रैल तक आरोग्यम अस्पताल में चला। जहां ईलाज के दौरान लगभग 70 हजार रुपये खर्च हुआ। स्थिति बिगडने के बाद आरपीएस अस्पताल रांची में भर्ती कराया गया।
इंफेक्शन होने की बात कहकर अस्पताल में किसी भी परिजन को उससे मिलने नहीं दिया गया। जहां ईलाज के दौरान उससे लगभग 90 हजार रुपये लिए गए और उनका आयुष्मान कार्ड, राशन कार्ड, आधार कार्ड लिया गया। शनिवार सुबह डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया।
शव को घर लाकर शनिवार को अंतिम संस्कार किया गया। टाटीझरिया मुखिया सुरेश यादव ने पीडित परिजनों को ढाढस बंधाया है। इस घटना से स्थानीय लोगों में गांव की स्वास्थ्य सहिया के प्रति आक्रोश व्याप्त है।
कमीशन का खेल में लिप्त हैं स्वास्थ्य सहिया
गर्भवती महिलाओं को समय पर इलाज व अन्य सुविधाएं मिल सकें, इसके लिए स्वास्थ्य सहिया को लगाया गया। समय-समय पर ये गर्भवती महिलाओं के घर उनके इलाज आदि का सुझाव देती हैं। इस वजह से ज्यादातर क्षेत्रों में महिलाओं के परिजन उन पर विश्वास कर लेते हैं।
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इन्हीं के कहने पर वह गर्भवती का इलाज भी करवाते हैं। इसका फायदा कई जगहों पर उठाकर गर्भवती को इलाज के लिए निजी अस्पतालों में ले जाती हैं। बताया जाता है कि इसके एवज में निजी अस्पतालों से इन्हें कमीशन मिलता है।
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