साल में फिर से 2 बार होगी बोर्ड परीक्षाएं, शिक्षा मंत्रालय के एनसीएफ का पूर्व मसौदा जारी, बदलेगा पूरा एग्जाम का पैटर्न

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न्यू एजुकेशन पॉलिसी के लागू होने के बाद से स्कूली शिक्षा में जल्द ही कई बड़े बदलाव होने वाला है। केंद्र सरकार की ओर से बनी कमिटी ने फिलहाल ड्राफ्ट में जो सिफारिश की है, उसके मुताबिक छात्रों को साल में दो बार बोर्ड एग्जाम देने होंगे ।
जानिए- और क्या क्या नये बदलाव होने वाले हैं
देश की स्कूली शिक्षा आने वाले कुछ सालों में पूरी तरह से बदली नजर आएगी। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 लागू होने के साथ ही शिक्षा व्यवस्था में भी कई बदलाव की तैयारी हो चुकी है। सरकार के द्वारा नई राष्ट्रीय पाठ्यचर्चा की रूपरेखा (NCFFS) तैयार करने के लिए केंद्र सरकार की तरफ से एक विशेषज्ञ पैनल नियुक्त किया गया था।
इस विशेषज्ञ पैनल के द्वारा अब साल में दो बार बोर्ड परीक्षा की सिफारिश की गई है । ये विशेषज्ञ पैनल शिक्षा मंत्रालय के द्वारा नेशनल करीकुलम फ्रेमवर्क फॉर स्कूल (NCF) एजुकेशन पर ड्राफ्ट के लिए एक कमेटी के तौर पर बनाया गया था। अब कमेटी से जो मंजूरी मिली है, उसके मुताबिक बोर्ड परीक्षाओं को वर्ष में कम से कम दो आयोजित किया जाना चाहिए। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि छात्रों के पास अच्छा प्रदर्शन करने के लिए पर्याप्त समय एवं अवसर दोनों हैं ।
इसके बाद छात्र उन पाठ्यक्रमों में बोर्ड परीक्षा को भी शामिल कर सकते हैं जिन्हें उन्होंने पूरा कर चुके है। वो वही पाठ्यक्रम चुन सकते हैं जिसमें वे स्वयं को तैयार महसूस करते हैं। यह प्रक्रिया एक व्यापक टेस्ट आइटम बैंक (comprehensive test item bank) के निर्माण के जरिये ही संभव हो सकेगी। इसका उपयोग उपयुक्त सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके टेस्ट बनाने के लिए किया जा सकेगा। यह निकट भविष्य में एनईपी 2020 में वर्णित ऑन-डिमांड एग्जाम दी प्रणाली के तरफ ले जाएगा।
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ये है प्री ड्राफ्ट
गुरुवार को शिक्षा मंत्रालय ने स्कूली शिक्षा के लिए राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (NCF) का “प्री- ड्राफ्ट” जारी किया। है। ये ड्राफ्ट छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों एवं विद्वानों जैसे हितधारकों से सुझाव आमंत्रित करने के बाद तैयार की गई है।
मंत्रालय ने एक बयान में बताया कि यह NCF-SE का एक प्री-ड्राफ्ट है, जिसके लिए अभी भी राष्ट्रीय संचालन समिति के बीच कई दौर की चर्चा की आवश्यकता है। विभिन्न हितधारकों से प्रतिक्रिया NSC को विभिन्न तौर-तरीकों एवं दृष्टिकोणों गंभीर रूप से देखने में मदद करेगी, जो कि यह ढांचा प्रस्तावित कर रहा है।
इसमें कहा गया है कि छात्रों, अभिभावकों, शिक्षकों, विशेषज्ञों, विद्वानों एवं पेशेवरों से भी फीडबैक की आवश्यक है, क्योंकि स्कूली शिक्षा के विभिन्न चरणों में छात्रों की विविध आवश्यकताओं, कई शैक्षणिक दृष्टिकोण एवं सीखने-सिखाने की सामग्री है। मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार पाठ्यपुस्तकें अगले साल से शुरू की जाएंगी।
शिक्षा मंत्रालय ने 5+3+3+4 ‘पाठ्यचर्या एवं शैक्षणिक’ संरचना के आधार पर चार राष्ट्रीय पाठ्यचर्या की रूपरेखा (एनसीएफ) तैयार की है, जिसकी एनईपी 2020 ने स्कूली शिक्षा के लिए सिफारिश की गई है।
नई शिक्षा नीति में दिया गया 5+3+3+4 फार्मेट क्या है
नई शिक्षा नीति में 10+2 के फार्मेट को पूरी तरह खत्म करने की बात कहा गया है। अब इसे 10+2 से बांटकर 5+3+3+4 फार्मेट में ढालने का प्रयास है। इसका मतलब है कि अब स्कूल के पहले पांच साल में प्री-प्राइमरी स्कूल के तीन साल एवं कक्षा 1 और कक्षा 2 सहित फाउंडेशन स्टेज शामिल होंगे। फिर अगले तीन साल को कक्षा 3 से 5 की तैयारी के चरण में विभाजन किया जाएगा। इसके बाद में तीन साल मध्य चरण (कक्षा 6 से 8) एवं माध्यमिक अवस्था के चार वर्ष (कक्षा 9 से 12)। इसके अलावा स्कूलों में कला, वाणिज्य, विज्ञान स्ट्रीम का कोई कठोर पालन नहीं होगा, छात्र अब जो भी पाठ्यक्रम चाहें, वे चयन कर सकते हैं।
कस्तूरीरंगन कमेटी ने तैयार किया है ड्राफ्ट
मंत्रालय के द्वारा अक्टूबर 2022 में 3-8 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए मूलभूत चरण (NCF-FS) के लिए NCF लॉन्च किया गया था। उस नीति को जारी रखते हुए, स्कूली शिक्षा के लिए अगला NCF तैयार हो रहा है।
साल में फिर से 2 बार होगी बोर्ड परीक्षाएं,
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