Govt School timing फिर से हो सकता है सुबह 10 से शाम 4 या सुबह 8 से 2 बजे तक , बताया गया 10 कारण

Join Us On

Govt School timing फिर से हो सकता है सुबह 10 से शाम 4 या सुबह 8 से 2 बजे तक , बताया गया 10 कारण

Govt School timing फिर से हो सकता है सुबह 10 से शाम 4 या सुबह 8 से 2 बजे तक , बताया गया 10 कारण

Govt
School timing फिर से सुबह 10 से शाम 4 बजे तक या सुबह 8 से 2 बजे तक और गर्मी के समय साढ़े छह से साढ़े 11 और शनिवार को साढ़े छह से साढ़े नौ बजे तक हो सकता है। यह मांग झारखंड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा ने यह मांग स्कूली शिक्षा एंव साक्षरता विभाग के सचिव के रवि कुमार से की है।




Advertisements

जाने क्यों किया है ऐसा मांग

उपरोक्त विषय के सन्दर्भ में कहा गया है क राज्य के भौगोलिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक एवं बाल मनोवैज्ञानिक पहलुओं के निम्नांकित तथ्यों पर ध्यान आकृष्ट कराते हुए विद्यालय समय सारणी के साथ आदर्श दिनचर्या को पूर्व से संचालित होते आ रहे विषयांकित समय सारणी को लागू कराने की अपील झारखंड प्रदेश संयुक्त शिक्षक मोर्चा छात्र हित में करती है।

(1) विद्यालय समय सारणी से संबंधित विभागीय अधिसूचना संख्या 2144, दिनांक 02 नवम्बर 2021 के साथ साथ अब तक कई आदेश इस सम्बन्ध में जारी किए गए हैं, जो आपस में ही अंतर्द्वद एवं भ्रम की स्थिति उत्पन्न करती है।




(2) विगत 2017 से लेकर अब तक राज्य के सभी शिक्षक संगठनों के साथ विभागीय वार्ताओं एवं बैठकों में लाए गए पारित प्रस्तावों को नजरअंदाज कर छात्र एवं शिक्षक हितों के प्रतिकूल विभागीय आदेश पारित करते हुए नित्य नए नए अव्यवहारिक प्रयोग किए जा रहे हैं।

(3) आर० टी० ई० के द्वारा निर्धारित मानक वार्षिक शैक्षणिक घंटे से राज्य मे लगभग 350 घंटे से भी ज्यादा शैक्षणिक घंटे संचालित किए झारखण्ड, रावी -जाने के बावजूद मात्र कोरोना संक्रमण काल का हवाला देते हुए विद्यालय समयावधि को बढ़ाने की अव्यवहारिक विभागीय जिद छात्र हित के प्रतिकूल से ज्यादा और कुछ भी नहीं प्रतीत होता है, क्योंकि कोरोना संक्रमण से पड़ोसी राज्य बिहार, उड़ीसा, प0 बंगाल, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश आदि देश के तमाम राज्य प्रभावित रहे हैं ना कि सिर्फ झारखंड राज्य ही प्रभावित रहा है अतः उन सभी राज्यों के विद्यालय समय सारणी का भी अवलोकन किया जा सकता है।




(4) शैक्षणिक गुणवत्ता की संवृद्धि मात्र शैक्षणिक घंटे में वृद्धि करके नहीं प्राप्त किया जा सकता है. इससे बच्चों में शिक्षा के प्रति अरुचि से ज्यादा कुछ भी प्राप्त नहीं किया जा सकता है।

(5) शिक्षा में गुणवत्ता हासिल करने के लिए कक्षा एवं बच्चों की संख्या के अनुरूप शिक्षकों की उपलब्धता कक्षा कक्ष, खेलकूद के लिए पर्याप्त खेल का मैदान, पेयजल की उपलब्धता जैसे अति आवश्यक भौतिक संसाधनों की मुहैया कराया जाय ताकि खेल कूद, योगाभ्यास आदि गतिविधियां मानक रूप से संचालित किया जा सके।




Advertisements

(6) विगत वर्षों से विभाग की शिक्षा बजट की बहुत बड़ी राशि NGO पर खर्च किए जाने की परंपरा विकसित हो चुकी है जो सरकारी राजस्व का घोर अपव्यय है क्योंकि NGO की भूमिका छात्रों के शैक्षणिक गुणवत्ता के उन्नयन में अब तक नगण्य रही है, इस राजस्व का उपयोग विद्यालय को आवश्यक संसाधनों से युक्त कर शिक्षा में गुणवत्ता के वांछित लक्ष्य को आसानी से प्राप्त किया जा सकता है।

(7) राज्य में पड़ने वाले गर्मी एवं सर्दी को देखते हुए खेल एवं शारीरिक गतिविधियाँ अपराह्न एक बजे एवं तीन बजे से कराने की विभागीय आदेश बच्चों के साथ-साथ शिक्षकों के बहुमूल्य मानव संसाधन को एक बड़ी क्षति पहुंचाने वाली आत्मघाती कदम साबित होगी।




(8) शिक्षा एवं बाल मनोवैज्ञानिकों के साथ-साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुसार विद्यालय में बच्चों को छः से सात घण्टे लगातार शैक्षणिक एवं शारीरिक गतिविधियों में बनाए रखना उनके मानसिक एवं स्वास्थ्य कल्याण के प्रतिकूल है।

(9) सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक स्थिति के अनुरूप लगभग 90% से भी ज्यादा बच्चे घर से बिना भोजन किए ही प्रतिदिन विद्यालय आते हैं, ऐसी परिस्थिति में उन्हें लंबे अवधि तक भूखे पेट शैक्षणिक एवं शारीरिक गतिविधि में संलग्न रखना उनमे शिक्षा के प्रति अरुचि पैदा करेगी, जिसका परिणाम विद्यालय से बच्चों का पलायन अथवा ड्रॉप आऊट चके रूप में आना तय है, क्योंकि एक बच्चे के नैसर्गिक आवश्यकता को किसी भी प्रतिकूल सरकारी आदेश के अधीन नहीं किया जा सकता है।




(10) झारखंड के सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक भाषाई एवं भौगोलिक क्षेत्रों में विविधता पाई जाती है, जिसके कारण बच्चों के शैक्षणिक, नैतिक एवं मानसिक शिक्षण की आवश्यकताएं भिन्न भिन्न है. इन आवश्यकतओं के लिए विभाग के द्वारा जारी किए गए आदर्श दिनचर्या एक सराहनीय कदम है परंतु इसे पूरे राज्य के लिए एक रोबोटिक तरीके से लागू करना बच्चों के लिए उबाऊ ही नहीं अपितु उन्हें शिक्षा के प्रति अरुचि पैदा करेगी जिससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त करने में एक बड़ी बाधक सिद्ध होगी। इसके लिए यह आवश्यक होगा कि एक शिक्षक जो बच्चों के सर्वथा समीप रहता है एवं उनके आवश्यकताओं को भली-भांति समझता है, उन्हें विवेकाधिकार होना चाहिए कि वे सामयिक आवश्यकतानुसार आदर्श दिनचर्या में विचलन कर सके।




Advertisements

उपरोक्त तथ्यों का अवलोकन करते हुए विषयांकित समय सारणी जो पूर्व से चली आ रही है अधिक तर्कसंगत, वैज्ञानिक और व्यवहारिक रूप से प्रमाणिक सिद्ध हुई है जिसमें अनावश्यक छेड़छाड़ ना करते हुए सम्पूर्ण राज्य के लिए अविलंब लागू किया जाना छात्र हित में अपेक्षित होगा।

बड़ी खबर : केंद्र के तर्ज पर झारखंड के सरकारी कर्मियों का भी बढ़ेगा महंगाई भत्ता , 9000 तक होगा फायदा



x

Leave a Comment

[the_ad id='21337']
[the_ad id='21338']