मुखिया ने कहा स्थानीय नीति लागू नहीं हुआ तो मेरे इलाका आने वाले नेता पहले पीठ में तेल लगा लें

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मुखिया ने कहा स्थानीय नीति लागू नहीं हुआ तो मेरे इलाका आने वाले नेता पहले पीठ में तेल लगा लें

मुखिया ने कहा स्थानीय नीति लागू नहीं हुआ तो मेरे इलाका आने वाले नेता पहले पीठ में तेल लगा लें


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तमाड़ के पांच परगना खबर में यह खबर छपी है। जिसमें कहा गया है कि भाषा विवाद और स्थानीय नीति को लेकर माहौल गरमाया है।

 

रविवार 6 मार्च को तमाड़ के दिउड़ी मंदिर स्थित मैदान में एक दिवसीय महाजुटान कार्यक्रम में तमाड़ के पुण्डीदीरी मुखिया दमयंती देवी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि झारखंड में अगर स्थानीति नीति लागू नहीं हुआ तो मेरे इलाका आने से पहले नेता पीठ में तेल लगा लें। मुखिया ने कहा कि भाषा अपना पहचान है, मिटने नहीं देंगे। बाहरी भाषा को झारखण्ड में लागू होने नहीं देना है, बर्दाश्त नहीं करेंगे।




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1932 खतियान लागू को लेकर अध्ययन पर मुखिया ने कहा कि बाहरी भाषा भोजपुरी, मगही, मैथली भाषा को लागू करने में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कहाँ अध्ययन किया था। जबकि झारखंड में स्थानीय नीति लागू करने को लेकर मुख्यमंत्री अध्ययन करने की बात कह रहे हैं।

मुखिया का कहना है कि झामुमो सरकार को राज्य में लाने के लिए दिन-रात मेहनत किये थे। लेकिन झामुमो पार्टी और उनके विधायक खराब निकलेंगे। यह उम्मीद नहीं था।




ऐसा लगता है कि आम के पेड़ में नीम का पेड़ उग गया है। इस बात का एहसास अब सभी को होने लगा है। मुखिया ने सिल्ली के पूर्व विधायक अमित कुमार महतो और उनकी धर्मपत्नी सिल्ली के पूर्व विधायक सीमा देवी, झारखंड के पूर्व शिक्षा मंत्री गीताश्री उरांव का नाम लेते हुए कहा कि अगर इस तरह झारखंड में 10-12 नेता जीतकर विधानसभा पहुँच जाएँगे तो सरकार का कड़वापन निकल जायेगा और आमलोंगो को अपने हक अधिकार के लिए वर्तमान जितना परिश्रम करना पड़ रहा है। उतना करना नहीं पड़ेगा।




वर्तमान सत्ता के विधायक सदन के अंदर और बाहर स्थानीय नीति को लेकर कुछ भी नहीं कह रहे हैं। मुखिया ने आगे कहा जब तक झारखंड में स्थानीय नीति लागू नहीं होगा तब तक आंदोलन जारी रहेगा।





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