समान के बदले समान वेतन : सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को जारी किया नोटिस, स्थाई नियुक्ति पर जवाब

समान के बदले समान वेतन : सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को जारी किया नोटिस, स्थाई नियुक्ति पर जवाब

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समान के बदले समान वेतन : सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को जारी किया नोटिस, स्थाई नियुक्ति पर जवाब

समान के बदले समान वेतन : सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को जारी किया नोटिस, स्थाई नियुक्ति पर जवाब




टेट परीक्षा पास कुछ पारा शिक्षकों के द्वारा नियमितीकरण एवं समान कार्य के बदले समान वेतन देने संबंधी याचिका को झारखंड हाई कोर्ट में 19 /01/2016 को दायर की गई थी। जिसका नम्बर WP (S) 315/2016 था। सात साल के लंबे बहस के बाद फैसला सुरक्षित रखते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने 16 दिसंबर 2022 को सुनील कुमार यादव एवं अन्य की याचिका पर फैसला सुनाते हुए उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। जिसके बाद प्राथी सुनील कुमार यादव एवं रंजीत कुमार जयसवाल ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर चुनौती दी थी।




दायर एसएलपी की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में हुई। सुप्रीम कोर्ट मामले में प्रार्थी की याचिका को सुनवाई के लिए स्वीकृत करते हुए झारखंड सरकार को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है।

शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई




सर्वोच्च न्यायालय (suprime court) नई दिल्ली में टेट पास पारा शिक्षक संप्रति सहायक अध्यापक के नियमितीकरण ,समान काम के बदले समान वेतन व अन्य सरकारी सुविधाएं के लिए प्रार्थी सुनील कुमार यादव , रंजीत कुमार जयसवाल व अन्य वनाम झारखंड सरकार की सुनवाई समय 11 A.m. बजे कोर्ट नम्बर 06 आइटम नम्बर 13 पर हुई। प्रार्थी का डायरी नम्बर 5215/2023 एवं SLP नम्बर 04881/2023 है।

दिनाँक 24/03/2023 को माननीय सर्वोच्च न्यायलय नई दिल्ली के माननीय जस्टिस दिनेश महेश्वरी एवं संजय कुमार के खंड पीठ ने याचिका स्वीकार कर झारखंड हाई कोर्ट के जजमेंट को गलत बताते हुए झारखंड सरकार को नोटिस जारी किया है। कहा कि क्यों नहीं टेट पास पारा शिक्षकों को स्थायी किया जा सकता है? समान काम के बदले समान वेतन क्यों नहीं दिया जा सकता है?




कोर्ट रूम में प्रार्थी सुनील कुमार यादव,रंजीत कुमार जयसवाल ,अभिषेक कुमार सिंहा, एवं शंकर कुमार गुप्ता मौजूद थे।

15 से 20 वर्षो से कर रहे कार्य

झारखंड में पारा शिक्षकों की पहली बहाली आज से 20 – 22 साल पूर्व हुई है। उसके बाद 2008 और 2009 में भी हुई थी। तब से कई पारा शिक्षकों का सेवाकाल 20 वर्षो से ज्यादा भी हो गया तो कई रिटायर भी कर चुके है। तो कई पारा शिक्षक का निधन भी हो चुका है।




न ही इन्हें अबतक स्थाई किया गया और न ही अनुकम्पा सहित अन्य सुविधाएं मिल पा रही है। पारा शिक्षकों के अनुकम्पा को झारखंड सरकार ने जेटेट की योग्यता मांग इतना जटिल बना दिया है, कि अधिकांश आश्रितों को पुनः नौकरी मिल पाना असंभव है।





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