शिक्षा विभाग का ऐसा फरमान , अभिभावक और बच्चों भी हतप्रभ

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शिक्षा विभाग का ऐसा फरमान , अभिभावक और बच्चों भी हतप्रभ

शिक्षा विभाग का ऐसा फरमान , अभिभावक और बच्चों भी हतप्रभ




एक दिन पूर्व झारखंड सरकार की स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के तरफ से सभी सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों के लिए आदर्श दिनचर्या से संबंधित दिशा-निर्देश जारी की गई है।

सचिव के रवि कुमार के द्वारा जारी आदर्श दिनचर्या से झारखंड के सभी जिला शिक्षा प्रभारी सह जिला कार्यक्रम पदाधिकारी तथा सभी जिला शिक्षा अधीक्षक सह अपर जिला कार्यक्रम पदाधिकारी को अवगत कराया गया है। विभाग के तरफ से पदाधिकारियों को यह सुनिश्चित कराने को कहा गया है कि विद्यालयों में आदर्श दिनचर्या को लागू किया जाएं। जारी आदर्श दिनचर्या में कुछ निर्देशों को लेकर अब सवाल भी उठने लगे है।




ग्रीष्मकालीन क्लास को लेकर ऐसे आदेश दिए गए हैं। जिसे सुनकर अभिभावक और बच्चों भी दंग हैं। सचिव के तरफ से निर्देशित किया गया है कि विद्यालयों में प्रत्येक कार्य दिवस प्रातः 8 बजकर 45 मिनट पर लंबी घंटी के साथ शुरू होगी।

वहीं ग्रीष्मकालीन कक्षाओं का समय एक अप्रैल से 30 जून तक प्रातः 6 बजकर 45 मिनट पर घंटी के साथ शुरू होगी। यानि कि गर्मी के दिनों में विद्यालय तीन माह अप्रैल, मई एवं जून में आम दिनों के मुकाबले दो घंटे पूर्व ही खुल जाएगी। बच्चों को तेज धूप एवं गर्मी से बचाने के लिए विद्यालय 6 बजकर 45 मिनट पर शुरू होगा।




ऐसा होना भी चाहिए यह बिल्कुल उचित प्रतीत होता है पर जहां बच्चों को गर्मी से बचाने के लिए इस तरह के कदम उठाने की बात कही गई है। वहीं जब कक्षाओं की समय सारणी पर विस्तार से नजर से देखें तो मालूम पड़ता है की बच्चों के खेलकूद का समय तेज व चिलचिलाती धूप एवं गर्मी के समय ही तय की गई है जो बिल्कुल अनुचित प्रतीत होता है।

सचिव की ओर से विभागीय पदाधिकारियों को निर्देशित दिया गया है की ग्रीष्मकालीन महीना (एक अप्रैल से 30 जून) तक बच्चे दोपहर एक बजे से दो बजे तक खेल गतिविधि इंडोर और आउट डोर में भाग लेंगे।




मतलब है की सूर्य जब बिल्कुल सर के उपर मध्य होगा तभी प्रचंड गर्मी पड़ते रहेगी और बच्चे खुली आसमान के नीचे तेज धूप में खेल गतिविधि में भाग लेंगे।

एक घंटे की खेल गतिविधि के बाद ही बच्चों को दोपहर दो बच्चे तेज धूप के बीच घर जाने के लिए छुट्टी देने का निर्देश है। विभाग के इस निर्देश से स्कूली शिक्षकगण दंग है।

शिक्षकगण भी यह समझ नहीं पा रहे की भला प्रचंड गर्मी के मौसम में बच्चों को दोपहर के समय खेल गतिविधि में शामिल कराने का क्या मतलब है। इतनी गर्मी में यदि बच्चे खेल गतिविधि में शामिल होंगे तो जाहिर है की उन्हें धूप भी लगेगी और जिससे उनके बीमार पड़ने की गुंजाइश बहुत ज्यादा बढ़ जाएगा।




दबी जुबान में ज्यादातर शिक्षक सरकार के इस निर्देश से इत्तेफाक नहीं रख रहे है और उनका भी मानना है की इस पर विभागीय अधिकारियों को पुनर्विचार करने की आवश्यकता है। आखिर ग्रीष्मकाल में सुबह दो घंटे पूर्व विद्यालय शुरू कराने का फिर फायदा क्या ?

बहरहाल, सचिव के तरफ से जारी दिशा-निर्देश को लेकर कोई भी पदाधिकारी कुछ भी बोलने से परहेज कर रहा है, हालांकि दबी जुबान में सभी सरकार के इस गाइडलाइन को बेतुका कह रहे है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा की शिक्षा विभाग अपने इस गाइडलाइन पर कोई बदलाव करता है या फिर नहीं।




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