आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने 11 फरवरी से अनिश्चितकालीन रेल रोको, चक्का जाम करने की दी चेतावनी, जानें क्या है आंदोलन का कारण

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आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने 11 फरवरी से अनिश्चितकालीन रेल रोको, चक्का जाम करने की दी चेतावनी, जानें क्या है आंदोलन का कारण

आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने 11 फरवरी से अनिश्चितकालीन रेल रोको, चक्का जाम करने की दी चेतावनी, जानें क्या है आंदोलन का कारण

आदिवासी सेंगेल अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सालखन मुर्मू ने आज गुरुवार को जिला मुख्यालय स्थित परिसदन में प्रेस वार्ता का आयोजन किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि पूरे देश में भाजपा विकास के नाम पर वोट बटोर रही है, लेकिन झारखंड में इसका कोई खास असर नहीं है।

उन्होंने इसका मुख्य कारण बताते हुए कहा कि मोदी सरकार के पास झारखंड के आदिवासियों के उत्थान के लिए कोई एजेंडा नहीं है। श्री मुर्मू ने बताया कि अपनी मांगों को लेकर आगामी 11 फरवरी से अनिश्चितकालीन रेल रोको, चक्का जाम किया जाएगा।

जानें आंदोलन का कारण

प्रेस वार्ता में सालखन मुर्मू ने बताया कि आदिवासी सेंगेल अभियान मरांग बुरू को बचाने, पलायन कर गए आदिवासियों एवं मूलवासियों को जमीन देने, स्थानीय नीति को लागू करने, सरना कोड को लागू कराने, रोजगार मुहैया कराने सहित अन्य कई मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन रेल रोको, चक्का जाम करने का निर्णय लिया गया है। श्री मुर्मू ने बताया कि पारसनाथ पहाड़ ही नहीं बल्कि देश के सभी पहाड़ पर्वतों को आदिवासियो को सौंप दिया जाए अन्यथा आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने कहा कि पारसनाथ मरांग बुरू पर आदिवासियों का अधिकार है न कि जैनियों का।

झारखंड बनने के 22 वर्ष बाद भी स्थानीयता और नियोजन नीति स्पष्ट नहीं: सालखन

सालखन मुर्मू ने कहा कि झारखंड राज्य बने 22 वर्ष पूरा हो गया है। इसके बावजूद राज्य में किसी सरकार ने स्थानीयता, नियोजन नीति और आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं है। इस कारण आज भी झारखंड में आदिवासी मूलवासी पलायन करने को मजबूर हैं। श्री मुर्मू ने कहा कि सोरेन परिवार 1932 का खतियान की बात कर झारखंड की जनता को बेवकूफ बनाने का काम कर रही है।

आदिवासी एवं मुलवासियों का वोट लेना है तो पहले मरांग बुरू को आदिवासियों को सौंपे

सालखन मुर्मू ने कहा कि अगर भाजपा को झारखंड में आदिवासी एवं मुलवासियों का वोट लेना है तो पहले मरांग बुरू को आदिवासियों को सौंप दें। साथ ही उन्होंने स्थानीय नीति को लागू करने, रोजगार देने की भी बात की। श्री मुर्मू ने कहा कि हमें विश्वास है कि हमारी मांगे जल्द पूरी होगी, क्योकि देश में पहली बार कोई आदिवासी महिला राष्ट्रपति के पद पर आसीन हैं।

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