शिक्षक नियुक्ति का विज्ञापन जारी होते ही सवाल उठना प्रारंभ
रांची: झारखंड हाई कोर्ट से नियोजन नीति रद्द होने के बाद हेमंत सरकार राज्य में नए सिरे से नियुक्तियां प्रारंभ करने में जुट गई है। जानकारी के अनुसार राज्य सरकार अब हाई कोर्ट से नियोजन नीति में संशोधन को लेकर दिए गए निर्देश के अनुरूप नियुक्तियां प्रारंभ करने जा रही है।
इसे लेकर शिक्षा विभाग ने कॉन्ट्रैक्ट पर 11 महीने के लिए टीजीटी और पीजीटी के विभिन्न विषयों के लिए शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रियां प्रारंभ कर दी है और इसे लेकर विज्ञापन भी जारी कर चुकी है।
वहीं गुमला और सरायकेला खरसावां जिला से उत्कृष्ट विद्यालयों एवं प्रखंड स्तरीय आदर्श विद्यालयों के लिए संविदा आधारित शिक्षकों के चयन का विज्ञापन जारी किया गया है। यह नियुक्ति जिला स्तर पर डीसी के नेतृत्व में बनी कमेटी के माध्यम से जिला शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा की जाएगी।
झारखंड राज्य माध्यमिक संघ ने शिक्षा मंत्री से की स्थायी रूप से शिक्षकों की नियुक्ति की मांग
शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर जिला स्तर से जारी किए जा रहे विज्ञापन पर अब सवाल उठना प्रारंभ हो गया है। इसे लेकर झारखंड राज्य माध्यमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो को पत्र लिखा है।
इस पत्र में संघ की ओर से कहा गया कि राज्य में संविदा के आधार पर हो रही शिक्षकों की नियुक्ति अनुचित है। साथ ही संघ की ओर से शिक्षकों की नियुक्ति स्थायी रूप से करने की मांग की गई है।
सरकार के पास शिक्षक नहीं और स्कूल ऑफ एक्सीलेंस और आदर्श विद्यालय खोले जानें की हो रही बात
शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर संघ के महामंत्री सुरेंद्र झा ने कहा कि राज्य सरकार प्रखंड स्तर और स्कूल ऑफ एक्सीलेंस और आदर्श विद्यालय खोले जाने के बाद कर रही है, लेकिन वास्तविक्ता यह है कि सरकार के पास शिक्षक ही नहीं है।
वहीं शिक्षकों की कमी रहते हुए स्कूलों में बेहतर शिक्षण व्यवस्था कायम करना संभव नहीं है। एक तरफ राज्य सरकार गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए स्कूलों में इंफ्रास्ट्रक्चर से लेकर अन्य सुविधाओं को बहाल करने पर जोर दे रही है। वहीं दूसरी तरफ शिक्षकों की नियुक्ति संविदा पर कर रही है, जिसका असर सीधे तौर पर पठन-पाठन पर पड़ेगा।
छात्र संघ ने की राज्य सरकार की आलोचना
संविदा पर शिक्षकों की नियुक्ति किये जाने का छात्र संघ ने भी राज्य सरकार की आलोचना की है। साथ ही छात्र संघ से इसपर सवाल उठाते हुए कहा कि संविदा के आधार पर शिक्षकों को नियोजन मिलने के बावजूद भी इसकी अनिश्चितता बनी रहेगी कि सरकार 11 महीने के बाद सेवा समाप्त कर देगी।
वहीं इस बात से उन्हें पढ़ाने के बजाय हर समय इस बात को लेकर चिंतित रहेंगे की उनका कार्यकाल मात्र इतने ही दिन शेष बचे हैं। इस संबंध में छात्र नेता एस अली ने कहा कि सरकार के द्वारा संविदा पर शिक्षकों की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश के विरुद्ध बताया है। कहा कि संविदा पर नियुक्ति होने पर यह मसला विवादों में आएगा और न्यायालय तक यह पहुंच जाएगा, जिससे शिक्षकों को काफी परेशानी होगी।