इलाहा मूवी में झारखंड की दो बहनों ने निभाई मुख्य भूमिका, मिला इंटरनेशनल अवॉर्ड ,जाने कहाँ की है दोनों बच्ची
झारखंड की दो बच्चियों ने मुख्य भूमिका निभाई , “इलाहा मूवी ” का प्रीमियर 21 वा ढाका इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में हुआ । पशु हिंसा के खिलाफ बनाई गई है इलहाम ।
21 वे ढाका इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में शुक्रवार को फिल्म इलहाम का प्रीमियम हुआ । इसमें पशु हिंसा के खिलाफ झारखंड की दो बच्चियों का मुख्य भूमिका है । इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल 14 जनवरी से 22 जनवरी तक चल रहा है ।
पलामू की रहने वाली है दोनों बहनें
फिल्म की कहानी दो भाई बहनों पर आधारित है जो पलामू के रहने वाले हैं यह दोनों भाई बहन स्कूली शिक्षा में है और चौथी कक्षा में तायोचान और 10वीं में पढ़ने वाली तोतेचान है ।
इस फिल्म के जरिए झारखंड के दोनों बच्चियों ने झारखंड के लिए नेशनल अवार्ड जीत चुके हैं डायरेक्टर श्रीराम डाल्टन और प्रसिद्ध गायक मेघा श्रीराम डाल्टन के यह दोनों बच्चे हैं तारों ने बताया कि फिल्म की शूटिंग अहमदाबाद में हुई थी और फिल्म को शूट तीन-चार साल पहले हुआ था। बताया कि उसे जानवरों से बहुत ज्यादा प्यार था लेकिन शूटिंग के समय जानवरों के साथ काम करने में परेशानियों का सामना करना पड़ा वैसे तो फिल्में डोडो बकरे का नाम था लेकिन मैं उसे टी कह के पुकारता था ।
बाद में मेरे साथ बहुत घुल मिल गया फिल्म के सेट पर हम दोनों ने खूब मस्ती की । तोतोचान ने बताया कि हम लोगों ने बहुत मस्ती की । जब मुझे यह पता चला कि तायो ही मेरा भाई का भूमिका निभा रहा है ।
यह फिल्म जानवरों से प्रेम करना सिखाती है और इस फिल्म के जरिए जानवरों के प्रति प्यार और सद्भावना ही दिखाया गया है । जिस तरह फिल्म में जानवरों के प्रति प्रेम दिखाया गया है उसी तरह इन दोनों बच्चियों ने भी असल जिंदगी में जानवरों के प्रति प्रेम रखा है
फिल्म का नाम इलहाम है इलहाम का मतलब होता है ईश्वरीय ज्ञान । इस फिल्म में दिखाया गया कहानी एक छोटा सा बच्चा फैजान (तायो)की है , जो एक गरीब दर्जी का बेटा है उसके पास एक बकरा भी होता है जिससे वह बहुत ज्यादा प्यार करता है 1 दिन तायों को पता चलता है कि बकरे की कुर्बानी दी जाने वाली है फैजान उस बकरे को बचाने के लिए जंगल में ले जाकर कहीं छुपा देता है ।
फिर वह सोचता है कि इसे जंगली जानवर मार के खा गए तो उसे जंगल में छुपाना सही नहीं रहेगा और यह सोचकर वह उस बकरे को फिर से जंगल में से लेकर के आने लगा इस कहानी में यह बताया गया है कि आखिर वह इस बकरे को कैसे बचा पाता है यह फिल्म पशु हिंसा बलि प्रथा कुर्बानी प्रथा का विरोध करती है और जानवरों से प्रेम करना सिखाती है ।
तोतेचान: झारखंड में शूटिंग करनी है
तोतेचान ने बताया कि पहली पहली बार मुझे कैमरा के सामने बहुत नर्वस फील होता था , लेकिन सिनेमैटोग्राफर अंकुर राय ने कैमरा फेस करना सिखा दिया , मां के गाए हुए गाने सुनना अच्छा लगता है और आगे ऐसे ही अच्छी से अच्छी और सार्थक भूमिका निभाना चाहती हूं लेकिन मैं अपनी मां से अच्छा नहीं गा सकती हूं तायों बोले मेरे नाम का अर्थ है सूर्य उदय जापानी भाषा में तायों का मतलब होता है सूर्योदय ।
मुझे शुरू से जानवरों से बहुत लगाव था और इस फिल्म में मुझे जानवरों के साथ काम करके बहुत अच्छा लगा मैं बहुत खुश हूं अपने बकरे के साथ काम करके हमारे डायरेक्टर अच्छा शार्ट देने पर हमें चॉकलेट खिलाया करते थे मेरे पापा झारखंड में फिल्म बनाते हैं मैं चाहता हूं कि आगे यहां शूटिंग करूं शूटिंग के बीच में मिलने वाला ब्रेक में मैं अपनी पढ़ाई कंप्लीट कर लेता था और आगे इसी तरह मैं फिल्मों में एक्टिंग करना चाहता हूं।
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