
चार सूत्री मांगों के समर्थन में अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के अह्वान पर शनिवार को शिक्षकों ने राँची पहुंचकर सीएम आवास का घेराव किया। घेराव कार्यक्रम में प्रदेश के प्राथमिक एवं मध्य विद्यालय के शिक्षक शामिल हुए।
शिक्षकों ने सबसे पहले मोरहाबादी मैदान से रैली निकाली और कचहरी, राजभवन होते हुए सीएम आवास की ओर बढ़े पर उन्हें राजभवन के पास रोक दिया गया। वहां शिक्षकों ने सभा की।
शिक्षकों ने सरकार की वादाखिलाफी, हिटलरशाही और अफसरों के प्रतिदिन विभागीय शोषण के खिलाफ बोले हल्ला
संघ के द्वारा एलान की गई है कि वार्ता और मांगें पूरी नहीं हुई तो 17 दिसंबर से अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन किया जाएगा। घेराव कार्यक्रम में शिक्षकों ने
सरकार की वादाखिलाफी, हिटलरशाही और अफसरों के प्रतिदिन विभागीय शोषण के खिलाफ बोले और खुलेआम चुनौती दी कि सरकार हमारी जायज मांगों पर गंभीर नहीं हुई तो आने वाले दिनों में प्राथमिक शिक्षा की व्यवस्था ठप करा देंगे। 17 दिसंबर से अनिश्चितकालिन अनशन पर जाएंगे

संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने क्या कहा
घेराव सह प्रर्दशन की अध्यक्षता करते हुए संघ के प्रदेश अध्यक्ष बिजेन्द्र चौबे के द्वारा कहा गया कि सरकार शिक्षकों के साथ भेदभाव नहीं करें। उनकी जायज मांगों के प्रति गैर जिम्मेदारी की भूमिका निभा रही है। गुणवत्तायुक्त शिक्षा के विकास के बजाय गैर शैक्षणिक कार्यों के बोझ से शिक्षक दबे है। कई गंभीर बीमारियों से भी ग्रस्त हो रहे है। नये-नये एनजीओ के प्रवेश से प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं।
वहीं प्रदेश महासचिव राममूर्ति ठाकुर ने कहा कि सेवा शर्तों में सरकार द्वारा भेदभाव करने की प्रवृति शिक्षकों में निराशा का भी भाव है। शिक्षकों से सभी विभागों का काम लिया जाता है। पर जब एमएसीपी देने की बारी आती है तो शिक्षकों को अलग रखा जाता है।
जब छठे वेतनमान की वेतन विसंगति दूर करनी हो, तो शिक्षकों को छोड़कर अन्य को इसका लाभ दे दिया जाता है। सभी राज्यकर्मियों का पदस्थापन सुविधा देखकर होता है पर शिक्षकों को गृह जिला में भेजने में रोक टोक हो जाता है। शिक्षकों से इतने अधिक लिपिकीय कार्य लिया जाता है कि मूल कार्य बाधित हो रहा है। शिक्षक इन सबसे त्रस्त होकर सड़क पर आज उतरे हैं।

इसके अलावा प्रदेश मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद ने कहा कि शिक्षकों को गैर शैक्षणिक कार्य से अलग किये बिना क्वालिटी एजुकेशन की बात बेईमानी है। हम अपनी क्षमता का 100 प्रतिशत बच्चों को देना चाहते है पर एमडीएम का हिसाब, बीएलओ कार्य, विभागीय पत्रों का जवाब समेत अन्य गैर शैक्षणिक कार्य में अधिकांश समय लग जाता है। गैर शैक्षणिक कार्य से मुक्ति और स्कूल में छात्रों को पठन-पाठन के लिए शिक्षकों को संर्घष करना पड़ रहा है।
पूरे प्रदेश में शिक्षकों की बीच सरकार की विरोधी लहर है। शिक्षक अपने सम्मान की रक्षा के लिए एकजुट है। संघ का मानना है कि सरकार जब तक शिक्षकों को भय मुक्त और दोहन मुक्त वातावरण नहीं देती गुणात्मक शिक्षा की बात करना बेईमानी है।
कार्यक्रम के दौरान ही स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता घेराव स्थल मे पहुंचे। पांच सदस्यों प्रदेश अध्यक्ष विजेंद्र चौबे, महासचिव राममूर्ति ठाकुर, मुख्य प्रवक्ता नसीम अहमद, सुनील ठाकुर, सुधीर दुबे को लेकर मुख्यमंत्री से वार्ता के लिए गए पर मुख्यमंत्री के अस्वस्थ होने के के कारण मुलाकात नहीं हो सकी। मंत्री की पहल पर एक सप्ताह में ही वार्ता होगी। संघ ने स्पष्ट किया कि वार्ता और मांगें पूरी नहीं हुई तो 17 दिसंबर से अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन पर पूरे प्रदेश के शिक्षक बैठेंगे।
मुख्य मांगें
अन्य राज्य कर्मियों की तर्ज पर शिक्षकों को भी MACP दी जाए।
छठे वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर करते हुए इन्ट्री पे स्केल दी जाए।
अंतरजिला स्थानांतरण नियमावली को सरल व सुगम बनाया जाए।
लिपिकीय व गैर शैक्षणिक कार्यों से पूर्णरूपेण मुक्ति मिले।
मंच संचालन मुकेश कुमार ने किया। घेराव में प्रवीण कुमार, धीरज कुमार, सुनील कुमार, सुनील भगत, अस्दुल्लाह, अनुप केशरी, हरे कृष्ण चौधारी, रमेश प्रसाद, दीपक दत्ता, अनील कुमार,संतोष कुमार, सजेश लाल, राकेश कुमार, अजय ज्ञानी, बाल्मिकी कुमार, उपेन्द्र कुमार, अनिल सिंह, अनिल प्रसाद, संजय कुमार, अजय साहु, सलीम सहाय, कृष्णा शर्मा, रामचन्द्र खेरवार, सुरंजन कुमार, मणि उरांव, संभु शरण शर्मा, अनिल खलखों, अजय सिंह, प्रभात कुमार, अवधेश साहु, गणेश कुमार, प्रेम कुमार, संजय कुमार, संजय कंडुलना, आभा लकड़ा, सुधीर दुबे, अमरेश सहित हज़ारों शिक्षक उपस्तिथ थे।
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