
रांची: झारखंड सरकार ने कहा कि राज्य में भूख से किसी की भी मौत नहीं हुई है। बता दें कि बोकारो जिले के कसमार प्रखंड के भूखल घासी की मौत भूख के कारण हो गई थी। साथ ही छह महीने के बाद उनकी बेटी और बेटे की भी मौत हो गई।
एक ही परिवार के तीन लोगों की भूख से मौत की खबर अखबारों में प्रकाशित होने के बाद हाई कोर्ट ने इसपर संज्ञान लिया था। इसके बाद झारखंड हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस डा रवि रंजन व जस्टिस एसएन प्रसाद की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि आखिर झारखंड सरकार किस आधार पर कह रही है कि राज्य में भुख से किसी की मौत नहीं हुई है।
हाईकोर्ट ने पूछा कि क्या झारखंड सरकार ने भूख से मौत होने को परिभाषित किया है। साथ ही अदालत ने इसकी जानकारी दो सप्ताह में राज्य सरकार को पेश करने का निर्देश दिया है। वहीं मामले में अगली सुनवाई आगामी 25 नवंबर को होगी।
राज्य में भूख से नहीं हुई है किसी की मौत: झारखंड सरकार
बता दें कि पूर्व में अदालत ने मौखिक रुप से इसे स्पष्ट करने को कहा था, लेकिन लिखित आदेश नहीं होने पर सरकार की ओर से जवाब दाखिल नहीं किया गया। राज्य सरकार की ओर से दाखिल जवाब में कहा गया था कि पूरे राज्य में भूख से किसी की मौत नहीं हुई है। साथ ही राज्य सरकार ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो इसके लिए कई तरह की योजनाएं चला रही हैं। इस मामले में अधिवक्ता सोनल तिवारी ने हाई कोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दाखिल किया था।
झारखंड में बीते 5 सालों में भूख से 34 लोगों की हुई मौत
दाखिल याचिका में सोनल तिवारी ने बताया कि पिछले पांच सालों में राज्य में भूख से कुल 34 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं राज्य सरकार इसे भूख की बजाय बीमारी से मौत होने की बात कहती है। पूर्व में सुनवाई के दौरान अदालत ने झारखंड विधिक सेवा प्राधिकार से भी इसकी रिपोर्ट मांगी थी। राज्य सरकार की ओर से दाखिल जवाब के बाद अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि सरकार यह स्पष्ट करें कि आखिर भूख से मौत का पैमाना (परिभाषा) क्या है। वहीं, इसको रोकने के लिए राज्य सरकार क्या तंत्र विकसित किया है, ताकि भूख से किसी की मौत न हो।
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