
स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण पर विधानसभा के विशेषसत्र में आज होगा पेश
झारखंड सरकार शुक्रवार को दो बड़े फैसले लेने की तैयारी में है। सरकार ने दो बड़ी घोषणाएं की है। पहला 1932 के खतियान आधारित स्थानीयता नीति और दूसरा पिछड़ों को 27 प्रतिशत आरक्षण पर कानून का। इन दोनों से जुड़ा बिल शुक्रवार को विधानसभा के विस्तारित सत्र में पेश किया जाएगा।
इसे लेकर विधानसभा के मानसून सत्र को विस्तारित करते हुए 11 नवंबर को एक दिन का सत्र आहूत किया गया है।
विधानसभा सचिवालय की ओर से जारी सदन के एजेंडा में मात्र दो विधेयकों का उल्लेख है। 11 बजे दिन से शुरू होने वाले इस सत्र में सिर्फ झारखंड के स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा और परिणामी सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य लाभों को ऐसे स्थानीय व्यक्तियों तक विस्तारित करने के लिए विधेयक 2022 एवं झारखंड पदों एवं सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण अधिनियम 2001 (यथा संशोधित) में संशोधन के लिए विधेयक 2022 पर चर्चा होगी।
मुख्यमंत्री ने घोषणा की थी कि 1932 के खतियान पर आधारित झारखंड के स्थानीय व्यक्तियों की परिभाषा तय करने के लिए सरकार विधेयक पेश करेगी। दूसरी घोषणा राज्य के ओबीसी (पिछड़ा वर्ग) को 27 प्रतिशत आरक्षण देने से संबंधित थी। इस आशय की घोषणा को अमली जामा पहनाने के लिए विधेयक लाने की बात है।
विधेयकों का प्रस्ताव 14 सितंबर को कैबिनेट बैठक में मंजूर किया गया था।
सत्र के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष ने कसी कमर
विधानसभा के इस सत्र को लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष ने तैयारी पूरी कर ली है। गुरुवार शाम सत्ता पक्ष और विपक्ष की अलग-अलग बैठक हुई, जिसमें सत्र को लेकर रणनीतियों को अंतिम रूप दिया।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में उनके आवास पर महागठबंधन के विधायकों की बैठक हुई, जिसमें सत्र में किसे क्या बोलना है, इस पर निर्णय हुआ। उधर, मुख्य विपक्षी दल भाजपा के विधायकों की बैठक पार्टी मुख्यालय में हुई। बैठक में प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश और विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी मौजूद रहे। रणनीति बनी कि कैसे सत्ता पक्ष को जवाब देना है।
स्थानीय नीति और ओबीसी आरक्षण