
हजारीबाग: लंपी वायरस ने दूध उत्पादकों की चिंता बढ़ा दी है। बता दें कि यह मामला हजारीबाग जिले के बड़कागांव व दारु प्रखंड का है। सूत्रों के अनुसार जिले में लंपी वायरस के बढ़ते मामले को देखते हुए लोग दूध लेने से इंकार कर रहे है।
वहीं ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति और भी खराब है और लोग दूध का बहिष्कार कर रहे है। बीते मंगलवार को दारु प्रखंड के राजकुमार यादव और हरली के संजय दांगी दूध बेचने के लिए आएं, जिन्हें बैरंग लौटना पड़ा।
लोगों ने दोनों दूध उत्पादकों के मवेशियों पर लंपी वायरस होने की संभावना के आधार पर दूध लने से मना कर दिया। वहीं होटल संचालक के साथ-साथ सूधा, मेधा और अमूल दूध का भी उठाव इन प्रखंडों में काफी कम हो गया है।
जिले में तेजी से फैल रहा संक्रमण, प्रशासन मौन
बता दें कि हजारीबाग में लंपी वायरस का संक्रमत तेजी से बड़े पैमाने पर फैलता हुआ देखा जा रहा है। वहीं जिला प्रशासन इसके रोकथाम को लेकर कदम उठाने बजाय मौन साधे हुए है।
वहीं कई प्रखंडो के पशुपालन विभाग से चिकित्सक भी गायब हो गये है और प्रखंड स्तर के स्वास्थ्य केन्द्रो में एक इंजेक्शन तक उपलब्ध नहीं है। वहीं बढ़ते संक्रमन को रोकने के बजाय जिला पशुपालान पदाधिकारी केवल अपनी जुबानी ढोल पीट रहे हैं।
जानें दूध विक्रेताओं ने क्या कहा
मामले को लेकर दारु के बक्शीडिह दूध विक्रेता राकेश कुमार सिन्हा ने कहा कि लंपी वारयस को लेकर सरकार पूरी तरह से मौन है और किसी प्रकार के दवा दारु का भी कोई उपाय नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अब यह भी चिंता होने लगी है कि कहीं यह बीमारी बच्चों में भी न आ जाए। वहीं हजारीबाग के दारु के बड़वार दूध विक्रेता राजकुमार यादल ने बताया कि वे 30 लीटर प्रति दिन दूध का वितरण करते हैं। बीमारी के कारण लोग फोन कर दूध लेने से इंकार कर रहे है, जबकि उनके मवेशियों में किसी प्रकार का संक्रमण नहीं है। उन्होंने बताया कि प्रतिदिन उनका 30 लीटर दूध बर्बाद हो जा रहा है।