
कोडरमा के जिला समन्वयक बहाली में भारी अनियमितता का मामला प्रकाश में आ रहा है। अहर्ता पूरी नहीं करने के बाद भी नियुक्ति की गई। प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के लिए जिला समन्वयक के पद हुई बहाली में अनियमितता के आरोप मुन्ना कुमार शर्मा द्वारा लगाया गया था।
मुन्ना कुमार शर्मा ने मेघा सूची में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, ग्रामीण विभाग के सचिव व कोडरमा के उपायुक्त से की है। शिकायत में बताया था कि सोनी कुमार चयन गलत तरीके से हुआ है। वह पीजीडीआरडी के कोर्स से पहले इस कार्य क्षेत्र में अपना अनुभव बता रहे हैं।
डिग्री के साथ मांगा गया था तीन वर्ष का अनुभव
विभाग द्वारा निकली विज्ञापन में तीन वर्ष का अनुभव मांगा गया था । इस पद के लिए पीजीडीआरडी यानी पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन रूरल डेवलपमेंट और एमबीए इन रूरल डेवलपमेंट की योग्यता के साथ ही तीन वर्षों का अनुभव मांगा गया था।
और जिला चयन समिति द्वारा मेघा सूची के आधार पर 28 अक्तूबर को बहाली की गयी। पर चयनित अभ्यर्थी सोनी कुमार का अनुभव डिग्री पूरा होने से तीन वर्ष पहले दिखाया गया है। जो कि बिल्कुल गलत है क्योंकि चयनित अभ्यर्थी संबंधित योग्यता से पहले अनुभव कैसे प्राप्त कर सकता है।
समीक्षा में हुआ खुलासा
मामला विधानसभा की प्रत्यायुक्त समिति के पास पहुंचने के बाद कमेटी के सभापति विनोद सिंह ने इसकी जांच के लिए तीन बैठकें संबंधित पदाधिकारियों के साथ की। ग्रामीण विकास विभाग व जिला के डीडीसी को बैठक में बुलाया गया था। कमेटी द्वारा इस मामले में अपनी रिपोर्ट तैयार कर ली गई है।
आनेवाले विधानसभा सत्र में कमेटी रिपोर्ट सौपेंगी। इसकी जानकारी सभापति विनोद सिंह ने दी। कहा कि पूरे मामले की समीक्षा में यह तथ्य आया कि नियुक्ति में गलत प्रक्रिया अपनायी गयी है। इस पद पर जिनकी नियुक्ति हुई, वे अर्हता पूरी नहीं करते हैं ।