
खनन लीज मामला । हेमन्त सोरेन की सदस्यता । झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस के द्वारा रायपुर में बड़ा बयान दिया गया है। राज्यपाल के द्वारा कहा गया कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सदस्यता के मामले में चुनाव आयोग से उन्होंने सेकेंड ओपिनियन की मांग की है। इसके मिलते ही वह निर्णय लेने को स्वतंत्र हैं। ये उनका विशेषाधिकार में है।
वहीं दीपावली पर अपने घर गए गवर्नर ने एक निजी चैनल से बातचीत के दौरान कहा कि पद संभालने के बाद उन्हें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से संबंधित शिकायत मिली थी जो चुनाव से संबंधित था। इसलिए मैंने चुनाव आयोग को पत्र भेज मंतव्य मांगा। मंतव्य मिलने के बाद गवर्नर बाध्य नहीं है कि कब आर्डर जारी करेंगे। पर उनके पास आयोग का पत्र आते ही सियासी हलचल चालू हो गई। घबराने की कोई बात नहीं है।
जो होना है वही होगा। मीडिया में कई अटकलें लगाई गई वहीं मेरे पास झामुमो का प्रतिनिधिमंडल आया। उसने आयोग के पत्र की भी कॉपी मांगी। आदेश की प्रतिलिपि देने का प्रावधान नहीं है। इस संबंध में अपील को आयोग के द्वारा भी अस्वीकार कर दिया।
सरकार को अस्थिर करने की मेरी मंशा नहीं, नियम संगत ही होगा निर्णय
सत्तापक्ष के आरोपों और रायपुर में झारखंड के विधायकों को रखने से जुड़े सवाल पर राज्यपाल के द्वारा कहा गया कि सरकार को अस्थिर करने की अगर उनकी मंशा होती तो आयोग की सिफारिश पर निर्णय ले लिए होते। पर वह बदला लेने या बदनाम करने की भावना से काम नहीं करते। वह संवैधानिक पद पर हैं एवं उन्हें संविधान की रक्षा करनी है। यही कारण है कि उन्होंने चनाव आयोग से सेकेंड ओपिनियन की मांग की है। ऐसा इसलिए भी किया ताकि उनपर कोई अंगुली न उठाए।
एटम बम फूटने के बयान के बाद बढ़ी हलचल
राज्यपाल रमेश बैस ने आगे कहा कि दिल्ली में पटाखे प्रतिबंधित हैं पर झारखंड में कभी भी ‘एटम बम’ फूट सकता है। राज्यपाल का यह बयान झारखंड के सियासी घटनाक्रम के लिए काफी महत्वपूर्ण नजर से देखा जा रहा है। फिर भी उन्होंने यह भी कहा कि राज्य में सरकार को अस्थिर करने की उनकी कोई मंशा नहीं है।