इंटरमीडिएट कॉलेज में नामांकन के लिए सीट घटाने के निर्णय का संघ करेगा विरोध
इंटरमीडिएट कॉलेज में नामांकन के लिए सीट घटाने के निर्णय का संघ बिरोध करेगा। संघ ने कहा कि विगत वर्ष में निर्धारित सीट जितनी है, उतने सीटों पर संस्थान नामांकन लेंगे, चाहे परिणाम जो भी हो। आगे कहा कि जैक द्वारा इंटरमीडिएट कॉलेज में सीट निर्धारण का निर्णय माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के विपरीत है। संत जेवियर कॉलेज रांची के एकीकृत बिहार के समय कुछ छात्रों का इंटरमीडिएट कक्षा में पंजीयन एवं परीक्षा फॉर्म नहीं भरा जा सका। कॉलेज का कहना था कि सीट से ज्यादा इन छात्रों का पंजीयन नहीं हो सकता है । यह मामला माननीय उच्च न्यायालय पटना में गया और यह घटना 2000 ई. की है। माननीय उच्च न्यायालय ने राज्य के सभी विश्वविद्यालय के कुलपतियों एवं बिहार सरकार और माध्यमिक शिक्षा के पदाधिकारी को पार्टी बनाते हुए सीट निर्धारण पर शपथ पत्र देने का आदेश दिया । सभी कुलपतियों से विचार – विमर्श करने के बाद बिहार सरकार ने अन्गिभूत कॉलेज, संबद्ध डिग्री कॉलेज, इंटर कॉलेज एवं प्लस टू विद्यालयों में सीट निर्धारण कर माननीय उच्च न्यायालय में शपथ पत्र दिया।
शपथ पत्र में ये था शामिल
1.अंगीभूत कॉलेज में प्रत्येक संकाय में 512 -512- 512 सीट निर्धारित किया गया।
2.तथा संबद्ध डिग्री कॉलेज में भी प्रत्येक संख्या में 512 – 512- 512
3.इंटर कॉलेज में प्रत्येक संकाय में 384 -384 -384
4.प्लस टू विद्यालयों में प्रत्येक संकाय में 128- 128- 128
साथ ही बिहार सरकार ने अपने शपथ पत्र में माननीय उच्च न्यायालय में यह भी कहा गया था कि आधारभूत संरचना बढ़ाने पर केवल इंटरमीडिएट कॉलेज में ही अतिरिक्त सीट की वृद्धि हो सकती है ।
2000 ईस्वी में ही एक जनहित याचिका में माननीय उच्च न्यायालय पटना ने एक फैसला दिया कि –
From two year today intermediate education be seperated from the university of bihar and +2 school.
पुन: उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में संशोधन करते हुए आदेश दिया कि –
From two years today intermediate education be seperated from the university of bihar two years today.
माननीय उच्च न्यायालय ने अपने दूसरे आदेश में प्लस टू स्कूल में इंटरमीडिएट की पढ़ाई जारी रखना के तो कहा लेकिन सीट का निर्धारण 128 सीट प्रत्येक संकाय में रखा। 2000 ईस्वी में झारखंड अलग राज्य बन गया। और तब से अंगीभूत कॉलेज से लेकर प्लस टू स्कूलों तक सीटों का निर्धारण वही रहा। 2014 में जब हेमंत जी मुख्यमंत्री थे । और शशांक शेखर भोक्ता अध्यक्ष थे। तो उनके आग्रह पत्र पर प्लस टू स्कूल में प्रत्येक संकाय में छात्रों की संख्या 256 निर्धारित किया गया। लेकिन जैक ने हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी अंगीभूत कॉलेज एवं संबद्ध डिग्री कॉलेज में सीटों को बढ़ाते रहा। यह माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का अवहेलना था। तब से लेकर अभी तक यही व्यवस्था चल रही थी। अधिनियम झारखंड अधिविध परिषद संशोधित अधिनियम 2006 में स्पस्ट है कि इंटरमीडिएट कॉलेज में सीट निर्धारण का अधिकार जैक को है ।
विगत वर्ष अंगीभूत एवं संबद्ध डिग्री कॉलेज में नामांकन नहीं लेने का निर्णय हुआ था लेकिन बाद में सरकार ने 1 वर्ष के लिए नामांकन के लिए अनुमति दे दी । लेकिन आदेश में कहा गया की 3 वर्षों के भीतर इसे पूर्णता अलग कर दिया जाए ।
देश में अधिकांश राज्य नई शिक्षा नीति लागू कर दिया है।
लेकिन झारखंड में कोई स्पष्ट निर्णय नहीं हो सका है। निर्णय अंगीभूत एवं डिग्री कॉलेज में इंटरमीडिएट की पढ़ाई को बंद करने का हुआ था, ना की इंटरमीडिएट कॉलेज में नामांकन पर रोक लगाने का।
आज मोर्चा के अध्यक्ष मंडल की बैठक हुई । उसमें कहा गया कि राज्य सरकार 30 वर्षों से चल रहे इंटर कॉलेज को बंद करना चाहती है।
बैठक में कहा गया कि सरकार के सचिव के. रवि कुमार ने जैक को एक पत्र लिखा था, जिसमें कहा गया था कि छात्र अनुपात में शिक्षक होना चाहिए।
पत्र में आगे कहा गया था, कि अगर 384 से ज्यादा इंटर कॉलेज नामांकन करेंगे, तब उनका अनुदान प्रपत्र
अस्वीकृत कर दिया जाएगा।
मोर्चा के नेताओं का बैठक में कहना था कि सरकार ने 2000 का स्लैब क्यों बनाई है?
पहले सरकार अधिनियम एवं नियमावली में संशोधन करें।
बैठक में कहा गया कि प्लस टू स्कूलों में केवल 7 विषयों के शिक्षक की नियुक्ति हुई है। और जैक 40 विषयों में परीक्षा लेता है।
तो क्या राज्य के बच्चे सात विषय के लिए नामांकन लेंगे?
इंटर कॉलेज में अधिकांश विषयों में शिक्षकों की बहाली हुई है ।
विगत वर्ष सरकार ने निर्णय लिया था कि इंटर कॉलेज अब +2 स्कूल कहलाएंगे और 50 इंटर कॉलेज की मान्यता प्लस टू स्कूल करके दी गई है।
राज्य के सभी इंटर कॉलेज में अपने नाम के आगे प्लस टू स्कूल जोड़ने का पत्र भी गया है। बहुत से इंटर कॉलेज नाम में प्लस टू स्कूल जोड़कर जैक और विभाग को भेज भी दिए हैं।
तो फिर इंटर कॉलेज में 384 सीट और राजकीय प्लस टू स्कूलों में असीमित नामांकन।
यह समानता के सिद्धांत का क्रूर मजाक है।
बहुत से राजकीय प्लस टू स्कूल 3000 से ज्यादा छात्रों का नामांकन ले लिए हैं ।और शिक्षक प्रत्येक विषय में एक-एक है ।
आधारभूत संरचना नहीं है, तो शिक्षा में गुणात्मक सुधार कैसे हो सकता है ?
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि विभाग और जैक के इस निर्णय का मोर्चा पुरजोर विरोध करेगा और इसके लिए सड़क पर पुरजोर आंदोलन किया जाएगा। बैठक में 7 जून को अध्यक्ष मंडल के सदस्यों के साथ जिला अध्यक्ष एवं पदाधिकारीयो की बैठक बुलाई गई है। जिसमें जैक को घेरने का निर्णय लिया जाएगा। बैठक में कहा गया कि जैक विभाग का कठपुतली बन गया है और अपनी autonomy खोते जा रहा है। बैठक में स्पष्ट तय किया गया कि पूर्व से जो सीट हैं, इंटर कॉलेज उस पर नामांकन लेंगे। इस वर्ष मैट्रिक में 378000 बच्चे पास किए हैं।उनका नामांकन कहां होगा ?
सीमावर्ती जिला के बच्चों पड़ोसी राज्य बिहार में भाग रहे हैं । जहां उनका आर्थिक शोषण हो रहा है। पूरे राज्य में नामांकन के लिए हाहाकार मचा है और जैक और सरकार सोई हुई है ।
बैठक में रघुनाथ सिंह ने कहा कि अब लड़ाई आर – पार की होगी और इस राज्य के गरीब बच्चों के लिए नामांकन के लिए मोर्चा सड़क पर उतरेगा। और जब तक जैक सीट निर्धारण का निर्णय वापस नहीं लेगा आंदोलन जारी रहेगा । मोर्चा इसके लिए अपनी तैयारी शुरू कर दिया है ।
बैठक में कहा गया कि यह कहां का न्याय है कि एक संस्था को असीमित नामांकन लेंगे और दूसरे के लिए सीट निर्धारण। बैठक में कुंदन कुमार सिंह, सुरेंद्र झा ,रघुनाथ सिंह ,नरोत्तम सिंह, हरिहर प्रसाद कुशवाहा, फजलुल कादरी अहमद ,अरविंद सिंह, मनीष कुमार, अनिल तिवारी, देवनाथ सिंह ,गणेश महतो एन के सिंह, संजय कुमार, नरोत्तम सिंह और रंजीत मिश्रा उपस्थित थे। बैठक में जैक से पूछा गया कि क्या हाई कोर्ट के आदेश के विपरीत सीट निर्धारण का जो निर्णय लिया गया है उसमें माननीय उच्च न्यायालय से सहमति ली गई है, अगर नहीं ली गई है तो यह कोर्ट के अवमानना का मामला बनता है । बैठक के निर्णय की जानकारी प्रेस को मनीष कुमार एवं अरविंद सिंह ने दिया है।
बड़ी खबर : झारखंड में क्षेत्रीय व जनजातीय भाषा के शिक्षकों ( माचेत/मास्टर ) का होगा सीधी भर्ती,संकल्प जारी
Slide Up